इस अक्षय तृतीया बाल विवाह के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार का कड़ा रुख, गैरसरकारी संगठनों का भी मिला साथ

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अवधनामा संवाददाता

मध्य प्रदेश ने पंचायतों से अक्षय तृतीया के दौरान अपने गांवों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए निगरानी बढ़ाने को कहा
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के सहयोगी संगठन साई ज्योति ने सरकार की पहल का स्वागत करते हुए कहा, इसे सफल बनाने के प्रयासों में करेंगे पूरा सहयोग

टीकमगढ़। इस साल 10 मई को पड़ने वाली अक्षय तृतीया के दौरान बच्चों पर बाल विवाह का खतरा बढ़ने के मद्देनजर मध्य प्रदेश सरकार ने इस सामाजिक कुप्रथा के खिलाफ अपना रुख सख्त कर दिया है। मध्य प्रदेश के पंचायती राज निदेशालय ने राज्य की सभी पंचायतों को एक अधिसूचना जारी कर इस दौरान होने वाले किसी भी बाल विवाह से निपटने के लिए अपनी निगरानी बढ़ाने को कहा है। राज्य सरकार की यह पहल जो हर पंचायत को ‘बाल विवाह मुक्त’ बना सकती है, का स्वागत करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के गठबंधन सहयोगी साई ज्योति संस्था के प्रमुख अजय श्रीवास्तव ने कहा कि वे इस पहल की सफलता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों में हरसंभव सहयोग करेंगे। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान 2030 तक इस सामाजिक अपराध के खात्मे के लिए पूरे देश में काम कर रहे 161 गैर सरकारी संगठनों का गठबंधन है।
बाल विवाह को रोकने के लिए इस वर्ष मध्य प्रदेश सरकार के कड़े रुख की सराहना करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के संयोजक रवि कांत ने कहा, “ बाल विवाह की चुनौती से निपटने के लिए मध्य प्रदेश सरकार का बहुआयामी दृष्टिकोण सरकार की प्रतिबद्धता और इस मुद्दे पर उसकी समझ का परिचायक है। अक्षय तृतीया के मौके पर जारी यह परिपत्र बाल विवाह मुक्त मध्य प्रदेश के सपने को हकीकत में बदलने में सुनिश्चित करने में सहायक होगा।”
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान अपने सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर देश में बाल विवाह के राष्ट्रीय औसत से ज्यादा दर वाले जिलों में बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला रहा है। ये सहयोगी गैर सरकारी संगठन बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु की बेस्टसेलर किताब ‘व्हेन चिल्ड्रन हैव चिल्ड्रन : टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ में सुझाई गई रणनीतियों और कार्ययोजना को अंगीकार करते हुए उस पर अमल कर रहे हैं।
इस बीच, बाल विवाह के खात्मे के लिए मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में जमीनी स्तर पर काम कर रहे गैरसरकारी संगठन साई ज्योति ने राज्य सरकार की इस पहल को समर्थन दिया है। संगठन साई ज्योति के निदेशक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “अक्षय तृतीया बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील समय है। राज्य सरकार ने इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जो दृढ़ रुख अपनाया है, उससे हम आश्वस्त हैं कि हम राज्य से इस बुराई को उखाड़ फेंकने के अपने लक्ष्य में जल्द ही सफल होंगे।” उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएफएचएस 2019-21) के आंकड़ों के अनुसार देश में 20 से 24 आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह उनके 18 वर्ष की होने से पहले ही हो गया था। मध्य प्रदेश में यह दर 23.1 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय औसत के लगभग बराबर ही है।

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