उत्तर प्रदेश के लोग 18 जून के बाद इस चिलचिलाती गर्मी से कुछ राहत की उम्मीद कर सकते हैं। क्योंकि मौसम मॉडल्स रिपोर्ट के अनुसार स्थितियों में बदलाव की संभावना जतायी जा रही है। यह जानकारी शनिवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी।
उन्होंने बताया कि राज्य के कई जिलों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया, जिसमें पूर्वी प्रयागराज, झांसी में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा। कानपुर नगर में तापमान 44 डिग्री के आसपास बना हुआ है। वहीं, वाराणसी, बहराइच, हमीरपुर, बुलंदशहर, लखनऊ, हरदोई और बरेली जैसे जिलों में भी तापमान 44 से 46 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है।
डॉ. पांडेय ने बताया कि यह लंबे समय से जारी हीट वेव इंडो-गैंगेटिक मैदानों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में, हाल के वर्षों में देखी गई जो सबसे गंभीर हीट वेव में से एक रही है। गर्मी के पीछे का कारण लगातार शुष्क मौसम, साफ आसमान और गर्म, शुष्क पश्चिमी हवाएं हैं। ये हवाएं सिंध, बलूचिस्तान और थार रेगिस्तान के शुष्क क्षेत्रों से आती हैं, जिससे गर्मी और बढ़ जाती है।
मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि 18 जून से मौसम में बदलाव की संभावना है, जिससे लोगों को राहत की उम्मीद है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के आस-पास के क्षेत्रों में एक चक्रवाती परिसंचरण बनने की उम्मीद है। इसके अलावा इस परिसंचरण से उत्तराखंड की ओर एक ट्रफ बढ़ेगा, जो उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों को प्रभावित करेगा। इससे आर्द्रता में वृद्धि होगी, जिससे मानसून के धीरे-धीरे आने का मार्ग बनेगा। मानसून पहले पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश में पहुंचेगा और फिर 20 या 21 जून तक उत्तर पश्चिमी भागों की ओर बढ़ेगा।
उन्होंने बताया कि 18 जून से पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश की गतिविधियां तेज होने की उम्मीद है। 20 जून तक राज्य के मध्य भागों में भी छिटपुट बारिश होने की संभावना है। ये बहुप्रतीक्षित मानसूनी बारिश न केवल भीषण गर्मी से राहत लाएगी, बल्कि उत्तर प्रदेश में जल स्थिति में भी काफी सुधार करेगी। राज्य के सूखे क्षेत्रों को अंततः अच्छी बारिश मिलेगी, जिससे मिट्टी की नमी बढ़ेगी और जल की कमी पूरी होगी।