गेहूं के फसलों में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं, इसके लिए सिर्फ स्ट्रारिपर जिम्मेदार नही- क्षेत्रीय किसान

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गेहूं की फसलों के साथ ही भूसे चारे को बचाने के उपायों पर दिया जाये ध्यान

बढ़नी सिद्धार्थनगर।शासन प्रशासन द्वारा कोई भी नियम और कानून जनता के हित के लिए बनाया जाता है। और उसका पालन करना सबकी जिम्मेदारी होती है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं जैसे किसी भी चीज के अच्छे और बूरे दोनों पहलू होते हैं। विगत वर्षों में कंबाइन मालिकों के साथ प्रशासन ने बैठक कर नियम लगाया था कि कंबाइन के साथ ही स्ट्रारीपर  चलवाया जाये, ताकि डंढल खत्म हो जायेगा तो लोग आग नहीं लगायेंगे। जिसके बाद कई लोगों ने स्ट्रारिपर मशीन भी मजबूरी में खरीद लिया था। जिसके पास नही रहता था उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही थी। अब उसी स्ट्रारीपर पर रोक लगाई जा रही है।

प्रशासन का मानना है कि रीपर से आग लगने की संभावना रहती है। जिसके संबंध में जिला प्रशासन द्वारा 29 मार्च को एक आदेश जारी कर 3 अप्रैल तक रोक लगा दिया गया है। जिसके बाद तत्काल उसी दिन कुछ भूसा बनाने वाले लोगों खिलाफ प्रशासन ने कार्रवाई भी कर दिया है। वहीं कुछ पशुपालक रमेश यादव, जयप्रकाश चौधरी, कृष्ण मोहन, सुदामा यादव, आरती देवी, संजय यादव,नीबर, बाबूलाल आदि लोगों का कहना है, कि इस तरह से प्रशासन द्वारा हो रही कार्रवाई के कारण पशुओं का भूसा चारा बनाने वाले डरे सहमे हुए हैं।

जिसके कारण भूसा चारा मिलना मुश्किल हो गया है। अगर यही हाल रहा तो पशुओं के लिए समस्या खड़ी हो जायेगी। प्रशासन जितनी तत्परता से किसानों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, अगर उतनी ही तत्परता से फायर स्टेशन, दमकल की गाड़ियां सहित बचाव के उपायों पर ध्यान देता तो हर वर्ष आगलगी से क्षेत्र के किसानों को इतनी बड़ी क्षति नहीं होती। जबकि आग लगने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसा नहीं है कि रीपर के अंदर कोई आग का गोला बारूद होता है। जिसके कारण आग लग जाती है। किसी भी यंत्र के गरम होने या रगड़ लगने पर चिंगारी निकल सकती है।

आग कभी कभार कंबाइन से भी लग जाती है तो क्या कंबाइन को प्रतिबंधित कर हाथों से गेहूं काटने का नियम लागू किया जाना चाहिए। आग ट्रांसफार्मर, बिजली तार, सिगरेट,बीड़ी, ट्रैक्टर, कंबाइन, चलती हुई बाइक और कारों में भी लग जाता है। शासन प्रशासन को आग बुझाने वाली चीजों पर ध्यान देना चाहिए। जगह जगह फायर ब्रिगेड की गाड़ियां होनी चाहिए। जितनी जरूरत गेहूं की है उतनी ही जरुरत पशुओं के चारे के लिए भी है। आग लगने का जिम्मेदार सिर्फ भूसा बनाने वाली मशीनें नही है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं सभी चीजों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

उक्त संबंध में डीएम राजा गणपति आर का कहना है कि तीन दिनों के लिए रोक लगाई गई है। अगर पशुपालकों को भूसे चारे की समस्या हो रही है तो स्थिति परिस्थिति को देखते हुए उस पर भी विचार किया जायेगा।
वहीं एसडीएम शोहरतगढ़ राहुल सिंह का कहना है कि अभी तक एक लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। ऐसी कोई समस्या आ रही है तो उस पर भी विचार किया जायेगा।

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