जनेश्वर मिश्र पार्क में लहरा रहा है फटा हुआ तिरंगा- अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं

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लखनऊ। किसी भी देश का राष्टीय ध्वज उसके राष्टीय गौरव का प्रतीक होता है। देश की जनता का अपने राष्टीय ध्वज के प्रति असीम निष्ठा और सम्मान होता है। भारत में भी राष्टीय ध्वज तिरंगा को असीम सम्मान हासिल है, पूरी दुनिया में यह हमारी आन-बान और शान का परिचायक है।

भारतीय राष्ट्रध्वज अपने आप में ही भारत की नीति को दर्शाता है। जिसमें आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और सदैव विकास की ओर अग्रसर होने का संदेश छिपा है। इस तिरंगे को सलामत रखने के लिए न जाने कितने वीरों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हमारे राष्टीय गौरव व राष्टीय प्रतीक तिरंगा का अपमान हो रहा है।

यह तब है जब सूबे का मुखिया और सारा प्रशासनिक अमला यहीं बैठता है। लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में लगा राष्ट्रीय झंडा एक बार फिर फट गया है। लेकिन अभी तक इस पर किसी सरकारी अधिकारी या खद्दरधारी की नजर नहीं गयी है। यह पहला वाकया नहीं है। इससे पहले भी कई बार पार्क का झंडा फट चुका है।

जानकारी के मुताबिक यह पहली बार नहीं है जब हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान हुआ है। इससे पहले भी इस पार्क में राष्ट्रीय ध्वज फट चुका है। वहीं इस तरह की गलती पर सभी अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं। पार्क का झंडा फटने की खबर एलडीए अधिकारियों को भी नहीं है। जबकि एलडीए की देखरेख में ही यहां लगा तिरंगा बदला जाता है और नया झंडा लगाया जाता है। बता दें कि उंचाई पर हवा के तेज प्रवाह से बार-बार झंडा फट जाता है।

एशिया का सबसे बड़ा पार्क है जनेश्वर मिश्र पार्क

यूं तो लखनऊ अपनी कला और शिल्प के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। लेकिन यहां की और भी कई विशेषताएँ हैं जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

यहां स्थित विभिन्न पार्क (Park) भी यहां के आकर्षण केंद्रों में से एक हैं जिनमें हाथी पार्क, अम्बेडकर पार्क, गौतमबुद्ध पार्क, नींबू पार्क, ग्लोब पार्क, कंपनी गार्डन, जनेश्वर मिश्र पार्क आदि शामिल हैं। गोमती नगर में बनाया गया जनेश्वर मिश्र पार्क एशिया का सबसे बड़ा पार्क माना जाता है। इस पार्क का उद्घाटन 5 अगस्त 2014 को शहर की आम जनता के लिए किया गया था जिसे समाजवादी पार्टी के दिवंगत राजनीतिज्ञ जनेश्वर मिश्र की याद में बनवाया गया था।

शहर के बीचो-बीच स्थित इस पार्क को लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा पर्यावरण अनुकूलित बनाने का प्रयास किया गया है। पार्क को बहुआयामी पर्यावरण के रूप में अवधारित और डिज़ाइन (Design) किया गया है। यह पार्क जहां विभिन्न पक्षी प्रजातियों को स्थायी निवास प्रदान करता है वहीं समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए मनोरंजन का केंद्र भी है। पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में इस पार्क का विशेष योगदान है। इसका मुख्य उद्देश्य मनुष्य और प्रकृति के बीच सद्भाव को बढ़ावा देना है। यह स्थल लगभग 376 एकड़ तक फैला हुआ है जहां चार अलग-अलग दिशाओं से पहुँचा जा सकता है और इसलिए उत्तर और दक्षिण-पूर्व दिशा में चार अलग-अलग प्रविष्टियाँ उपयुक्त बिंदुओं पर बनायी गयी हैं। इस पार्क के रखरखाव के लिए हर साल लगभग 20 करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। पार्क में आगंतुकों के लिए नौकाविहार (बोटिंग-Boating), नृत्य-मंच, फुटबॉल (Football) का मैदान, टेनिस कोर्ट (Tennis Court), साइकल ट्रैक (Cycle track), जॉगिंग ट्रैक (Jogging track) आदि मनोरंजन के साधन उपलब्ध करवाये गये हैं। इस पार्क के आकर्षण बिंदु निम्नलिखित हैं:

गोंडोला बोट (Gondola boat): आगंतुकों के मनोरंजन के लिए चीन से दस विदेशी नाव (गोंडोला बोट) मंगवाई गई हैं। इस नाव की शुरुआत इटली के वेनिस शहर में हुई थी। नाव को विशेष प्रकार की लकड़ी से बनाया जाता है तथा एक विशेष आकार भी दिया जाता है जिस कारण यह अन्य नावों से भिन्न होती है। ऐसा माना जाता है कि 20 साल लगातार पानी में रहने के बावजूद भी यह नाव खराब नहीं होती। इस एक नाव की कीमत लगभग 16 लाख रुपये है।

207 फुट ऊंचा तिरंगा: पार्क में आपको 207 फुट ऊंचा तिरंगा भी लहराता हुआ दिखाई देगा। तिरंगे के खम्बे के आस-पास विशेष प्रकार की लाइटें (Lights) भी लगायी गयी हैं।

हैरिटेज ट्रेन (Heritage train): आगंतुक यहां हैरिटेज रेलवे इंजन को भी देख सकते हैं। इस इंजन को गुजरात से मंगाया गया है। इंजन को यहां पर लाने और स्थापित करने का कुल खर्च 2 करोड़ 32 लाख रुपये है।

सेल्फी पॉइंट (Selfie point): सेल्फी के बढ़ते रूझान को ध्यान में रखते हुए पार्क में सेल्फी पॉइंट भी बनाये गये हैं जो इंजन के निकट ही स्थित हैं।

कहानी घर: पार्क में एक कहानी घर भी बनाया गया है। तकरीबन 700 मीटर लम्बा यह कहानी घर अंदर से पूरी तरह डिजिटल (Digital) है।

इसके अतिरिक्त जल निकाय, फव्वारे, थीम गार्डन (Theme garden) आदि भी पार्क के आकर्षण का केंद्र हैं। यहां स्थित प्रवेश प्लाज़ा (Plaza) में टिकट काउंटर (Ticket Counter), पूछताछ काउंटर आदि के साथ एक छोटा प्रशासन भवन बनाया गया है। पार्क के भीतर एक महत्वपूर्ण स्थान पर श्री जनेश्वर मिश्र की मूर्ति भी स्थापित की गयी है जो 25 फीट ऊंची है। इसे एक उच्च स्थान पर स्थापित किया गया है ताकि मूर्ति को पार्क के सभी कोनों से देखा जा सके। पार्क में बच्चों के खेलने के लिए एक क्षेत्र बनाया गया है तथा पार्किंग (Parking) और परिसंचरण की सुविधा भी उपलब्ध करवायी गयी है। पार्क को हरा-भरा रूप देने के लिए जगह-जगह पर विभिन्न प्रकार की किस्मों के पौधे लगाये गये हैं। सार्वजनिक सुविधाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय, भोजनालय, रेस्तरां आदि का निर्माण भी किया गया है।

जनेश्वर मिश्र पार्क को आज एशिया के सबसे बड़े पार्क के रूप में जाना जाता है। किंतु इससे भी बड़ा पार्क मथुरा में बनाया जा रहा है जो जनेश्वर मिश्र पार्क को प्रतिस्थापित कर एशिया का सबसे बड़ा पार्क बनेगा। इस पार्क को मथुरा में कालीदा घाट के निकट बनाया जा रहा है जो 400 एकड़ के क्षेत्र में विस्तारित होगा। यह परियोजना लगभग 150 करोड़ रुपये की है। इस पार्क को सिटी फोरेस्ट (City forest) के रूप में विकसित किया जायेगा जहां ब्रजभूमि की सभी वनस्पतियां समाहित होंगी। यह पार्क मथुरा के पर्यावरण के लिए वरदान सिद्ध होगा।

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