अवधनामा संवाददाता
तमकुहीराज, कुशीनगर। श्रीमद्भागवत कथा कलियुग में मनुष्य के लिए साक्षात संजीवनी है। मानव आडंबर, दिखावा, लोभ, मोह, प्रपंच आदि के चलते तनाव में घिरा हुआ है। हर वक्त व्यक्तिगत, परिवारिक, सामाजिक एवं देश की समस्याओ से परेशान हैं। ऐसे श्रीमद्भागवत कथा मानव में अध्यात्म की भावना पैदा कर इन सब समस्याओं से मुक्ति दिलाने का कार्य करती है।
उक्त बातें बुधवार को तमकुही स्टेट में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के दौरान बंगलौर पीठ से पधारे श्री श्री रविशंकर जी के शिष्य स्वामी दिव्यानंद ने कही। उन्होने श्रीकृष्ण के लीलाओ का वर्णन करते हुए कहा श्रीकृष्ण कारागार में प्रकट होकर मनुष्य जीवन के बंधनो को आभास कराया। अपने जीवन में अनेको दानवो का बध किया। उन्होंने कहा कि दानव हमारे शरीर में काम, क्रोध,लोभ मोह आदि बुरी प्रबृतियों के रूप में विराजमान है। जो इन प्रबृतियो का दमन करता है, वही श्रीकृष्ण है। आज हर तरह से प्रकृति का नुकसान किया जा रहा है। जिसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ रहा है। प्रकृति का नुकसान स्वयं का नुकसान है। कथा व्यास के संगीतमय प्रस्तुति पर उपस्थित श्रोता भाव विभोर होते रहें। इस दौरान राजमाता विधा कुमारी शाही, कुंवर रोहित प्रताप शाही, रूद्रप्रिय प्रताप शाही, माधवी शाही, माया शाही, मीना शाही, डाक्टर विजया शाही, अमृता शाही, मनोज कुमार सिंह, दिलीप कुमार सिंह, सारंग नारायण सिंह, सुनील कुमार शर्मा, संजय कुमार मिश्र आदि मौजूद रहे।
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