श्रीकृष्ण के बालरूप को देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक

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अवधनामा संवाददाता

अवधनामा (सोनभद्र/ रेणुकूट) संस्कार भारती रेणुकूट के तत्वावधान में हिंडाल्को प्रेक्षागृह में 31वें “बाल गोकुलम श्री कृष्ण रूप सज्जा” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि हिंडाल्को मानव संसाधन विभाग के प्रमुख जसबीर सिंह के साथ संस्कार भारती के अध्यक्ष नवल किशोर, मंत्री विपुल अग्रवाल, कार्यक्रम संयोजक शिव शंकर शर्मा, अजय अमिष्ट ने भगवान श्री कृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया। तत्पश्चात् श्याम नारायण चौबे ने संस्था का ध्येयगीत प्रस्तुत किया वहीं लतिका गुप्ता ने संस्था के विषय में जानकारी दी।
कार्यक्रम में 9 माह से ढाई वर्ष और ढाई वर्ष से 4 वर्ष तक की आयु वर्गों में कुल 82 बच्चों ने मंच पर पहुंचकर अपने विविध रूपों जैसे दही माखन चुरात, गेंद खेलते, रूदन करते, मुख पर माखन लगाए व मुरली लिए हुए कृष्ण अपनी बाल सुलभ नटखट अदाओं से खचाखच भरे प्रेक्षागृह में उपस्थित दर्शकों का मन मोह लिया। गीता मौर्या के निर्देशन में बच्चों की नृत्य प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को नई ऊंचाइयां प्रदान कीं। निर्णायक मंडल में शामिल आचार्य यमुना मिश्रा , उदय मिश्रा एवं नेहा माहेश्वरी ने बच्चों के परिधानों व उनकी कुशलता का कुशल मूल्यांकन किया तथा कनिष्ठ वर्ग में रूसॉन्ग मेंनन, आरव यादव, शिवांश और वरिष्ठ वर्ग में अंशुमन राठी, मेधावी सिंह और आरोही गुप्ता को क्रमशः प्रथम द्वितीय व तृतीय स्थान प्रदान किया। कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागी बाल गोपालों को हिंडाल्को प्रबंधन मंडल की तरफ से सांत्वना पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जसबीर सिंह जी ने अपने मार्मिक एवं हृदय स्पर्शी उद्बोधन में कहा कि हमें अपने धर्म की और अपने संस्कारों की रक्षा व मान सम्मान स्वयं करना है। अपनी आने वाली पीढ़ी को अगर अच्छे संस्कार हम नहीं देंगे तो कौन देगा। श्री जसबीर ने अपने बचपन की यादों को ताजा करते हुए कुछ संस्मरण भी सुनाए और संस्कार भारती टीम को ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए प्रेरित किया और संस्थान की तरफ से हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी दिया। कार्यक्रम का संचालन अजय झा एवं जीतेंद्र उपाध्याय ने अंजू शर्मा और शिप्रा उपाध्याय के सहयोग से किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्कार भारती रेणुकूट परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग सराहनीय रहा। वंदे मातरम के संपूर्ण गायन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
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