आरक्षण घोषित होने के बाद तथाकथित समाजसेवी हुए सक्रिय।

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अवधनामा संवाददाता

अध्यक्ष बननें के देखे जा रहें है सपनें।

मौदहा-हमीरपुर। नगरपालिका चुनावों का आरक्षण की घोषणा होते ही तथाकथित समाजसेवियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से और मोहल्लों मोहल्लों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना शुरू कर दी है। सभी अपने आप को दूसरों से बेहतर साबित करने में जुट गये हैं।हालांकि ऐसे समाजसेवियों के झांसे में आकर जनता इन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुनकर पांच साल के लिए पछताने का काम करती है इसलिए कस्बे वासियों को ऐसे तथकथित समाजसेवियों से सावधान रहने की आवश्यकता है।
गौर करनें की बात यह है कि बीते साल सितंबर में नगरपालिका/नगर पंचायत के चुनाव होने थे जिसके चलते स्वतंत्रता दिवस पर सभी नेताओं ने स्वतंत्रता यात्रा निकाल कर शक्ति प्रर्दशन किया था लेकिन चुनाव के आरक्षण आते ही चुनाव लड़ने से वंचित हो रहे भावी उम्मीदवार रहस्यमय तरीकें से जनता के बीच से ऐसे गायब हुए जैसे हिरन के सर से सींग,लेकिन अब आगामी ईद के त्योहार पर यही समाजसेवी मस्जिदों के आसपास स्टाल लगाकर ईद मिलन समारोह आयोजित करते दिखाई देंगे।
पहले आरक्षण में अध्यक्ष पद पिछडा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित होने से पिछड़ा वर्ग के वह भावी उम्मीदवार जिन्होंने कभी समाज में जाकर अपनी उपस्थिति भी दर्ज नहीं कराई थी वह भी अपने आप को सबसे बड़ा समाजसेवी बताते नहीं थक रहे थे और प्रमुख राजनीतिक दलों में अपने टिकट पाने की सेटिंग बैठाने लगे थे।लेकिन उसी दौरान आरक्षण प्रक्रिया को न्यायालय में चुनौती दे दी गई जिसके चलते चुनाव टल गया, चुनाव टलते ही सभी कथित समाज सेवी गणतंत्र दिवस पर नजर नहीं आए और किसी ने भी तिरंगा यात्रा नहीं निकाली।इतना ही नहीं समाज के कथित समाजसेवी भी विलुप्त हो गए।ऐसे में रामनवमी की शाम निकाय चुनावों का आरक्षण का ऐलान होते ही विलुप्त समाजसेवियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से और प्रत्यक्ष रूप से मोहल्ले मोहल्ले घूम कर अपने आप को सबसे बड़ा समाजसेवी साबित करना शुरू कर दिया है।लेकिन आगामी ईद के त्योहार पर यही कथित समाजसेवी ईद की बधाइयां देते और इफ्तार पार्टी का आयोजन करते हुए भी नजर आएंगे।ऐसे में कस्बे के जिम्मेदार मतदाताओं को ध्यान देना चाहिए कि अपने आप को कथित समाजसेवी कहने वाले समाजसेवी जो गणतन्त्र दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व में गायब हो सकते हैं तो वह आपके कैसे होंगे इसलिए इनसे सावधान रहकर मतदान करें।तभी कस्बे का विकास हो सकता है।

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