मौदहा (हमीरपुर)। मौदहा क्षेत्र के अधिकांश निजी स्कूलों में शिक्षा से जुड़ी आवश्यक सामग्री—जैसे कॉपियाँ और किताबें—स्कूल परिसर में या कुछ विशेष दुकानों पर जबरन बेचे जाने की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन छात्रों को स्वतंत्र रूप से किताबें खरीदने की छूट नहीं देता, जिससे उन्हें न सिर्फ महंगी सामग्री खरीदनी पड़ रही है, बल्कि यह नियमों का भी सीधा उल्लंघन है।
उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित विद्यालय (शुल्क का निर्धारण) अधिनियम 2018 के अनुसार, कोई भी निजी विद्यालय छात्रों या उनके अभिभावकों पर किसी विशेष स्थान या दुकान से शैक्षणिक सामग्री खरीदने का दबाव नहीं बना सकता। इसके बावजूद मौदहा के अधिकांश निजी स्कूलों में यह व्यवस्था अब आम हो चुकी है।
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल और दुकानदारों की मिलीभगत से अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। स्कूलों द्वारा दी गई किताबें बाजार में कहीं और मिलती नही है जो खुला सुबूत है कमीशनखोरी का जिन प्रकाशनों द्वारा अधिक कमीशन दिया जाता है स्कूल प्रबंधन उन्ही प्रकाशनों की किताबे सिलेक्ट कर महगें दामों पर या खुद बेच रहे हैं या किसी विशेष दुकान से बिचवा रहे है और हद तो यह है कि अभिभावकों को सूची तक नहीं दी जाती—बल्कि पूरा सेट सीधे स्कूल या तय दुकानों से खरीदने को मजबूर किया जाता है।
सबसे गंभीर बात यह है कि इन बुक स्टाल वालों द्वारा बिल की मांग करने पर रसीद तक नहीं दी जाती, जिससे स्पष्ट होता है कि न केवल नियमों की अनदेखी हो रही है, बल्कि सरकारी टैक्स की चोरी भी की जा रही है। इससे शासन को राजस्व का नुकसान हो रहा है और आम जनता को बिना हिसाब-किताब के लूटा जा रहा है।
इस मामले में बेसिक शिक्षा अधिकारी अलोक सिंह से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन कॉल का उत्तर नहीं दिया। उनके प्रतिक्रिया न देने से अभिभावकों में यह आशंका बढ़ रही है कि शिक्षा विभाग इस गंभीर मामले को नजरअंदाज कर रहा है।
जिला विद्यालय निरीक्षक महेश कुमार गुप्ता से जब इस सम्बन्ध में बात की गयी तो उन्होंने बताया, “हमें ऐसी सूचना प्राप्त हुई है कि कुछ स्कूलों/कॉलेजों द्वारा अपने निर्धारित ठेकेदारों से ही सामग्री दिलवाने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे स्कूलों को नोटिस भेजा जाएगा।” उन्होंने आगे कहा, “अभिभावक कहीं से भी कॉपी-किताबें लेने के लिए स्वतंत्र हैं। यदि कोई कॉलेज उन्हें बाध्य कर रहा है तो हमें शिकायत दें, विभाग संबंधित विद्यालय के विरुद्ध कार्रवाई करेगा।”
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और अभिभावकों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि दोषी स्कूलों और संबंधित दुकानदारों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही वाणिज्य कर विभाग से भी इस टैक्स चोरी की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है, ताकि शिक्षा व्यवस्था पारदर्शी बन सके और छात्रों के हितों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।