मौदहा-हमीरपुर। इस साल खेती में कम रकबे में बोई गई गेहूं की फसल के चलते बढती भूसे की कीमतों के कारण जहां आम पशु पालकों को परेशानी हो रही है तो वहीं गौशालाओं के संचालन में भी भविष्य में समस्या आने की आशंका जताई जा रही है।
हमारे देश में लगातार बढ रहा दुग्ध उत्पादन के कारण विश्व रैटिंग में कमी आने के साथ ही भारत दुनिया में बडे दुग्ध उत्पादक देशों में शामिल हो गया है लेकिन क्षेत्र में भूसे की कमी के चलते जहां पशुओं की दशा खराब हो रही है तो वहीं आम पशुपालकों को भी परेशानी हो रही है इतना ही नहीं भविष्य में भूसे के संकट को देखते हुए सरकार ने भी बडे किसानों से भूसा दान देने की अपील की है।
क्षेत्र के किसानों द्वारा मटर और सरसों की फसल अधिक बोने के कारण कम क्षेत्रफल में बोई गई गेहूं की फसल के कारण भूसे की समस्या को देखते हुए सरकार ने भूसा दान करने की किसानों से अपील की है।जिससे गौशालाओं के संचालन में समस्या उत्पन्न न हो।हालांकि सरकार की इस अपील का बडे किसानों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है और दान दाताओं की संख्या गिनी चुनी ही रही है।जिसके चलते आगामी तिमाही के बाद गौशालाओं मे भूसे का संकट खडा होना स्वाभाविक है।
कोतवाली क्षेत्र के परछा के निकट बनी वृहद गौशाला में मौजूदा समय में लगभग आधा सैकडा गोवंश बंद हैं।जबकि क्षेत्र की अधिकांश गौशालाओं से पशुओं को छोड़ दिया गया है।जबकि सितंबर अक्टूबर में सभी गौशालाओं में पशुओं की भरमार होगी लेकिन अभी से भूसे का प्रबंध नहीं होने से भविष्य में भूसे का संकट खडा होना स्वाभाविक है।गौशाला की देखरेख करने वाले परछा निवासी सईद खान ने बताया कि अभी उनके पास आठ सौ कुंतल भूसा है और चार सौ कुंतल भूसा जगह नहीं होने के कारण खरीदा हुआ पडा है लेकिन जब गौशाला में पशुओं की संख्या बढेगी तो हमें धान का पुआल खरीदना पडेगा।साथ ही लेखपाल जमीन नापकर निकाल रहा है जिसमें चारे की बुआई कराई जाएगी जिससे गौशाला का संचालन करने में आसानी होगी।अभी तक तीन दान दाताओं ने भूसा दान किया है।हालांकि इस सम्बंध में अभी किसी अधिकारी से औपचारिक जानकारी नहीं मिल सकी है।