बंधन का नाम धर्म नहीं है धर्म तो स्वतंत्रता है:- मुनि श्री सुप्रभ सागर महाराज

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अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। जनपद के दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बानपुर में 28 नवम्बर 2022 से श्री मज्जिनेन्द्र शांतिनाथ चौबीसी तथा मानस्तम्भ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा, विश्वशांति महायज्ञ एवं गजरथ महोत्सव का आगाज आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज , मुनि श्री प्रणतसागर जी महाराज (ललितपुर नगर गौरव), मुनि श्री सौम्य सागर जी महाराज के मंगल सान्निध्य में होने जा रहा है। महोत्सव की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मुख्य कार्यक्रम के लिए बस स्टैंण्ड स्थित महाराजा मर्दन सिंह क्रिकेट ग्राउंड पर पांडाल बनाया गया है।
बानपुर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि बंधन का नाम धर्म नहीं है धर्म तो स्वतंत्रता है।कषायों के विसर्जन के अनुभव में धर्म की प्राप्ति संभव नहीं है। जिसने अंधकार को नहीं जाना बह उजाले को नहीं समझ सकता। जिसने मिथ्यात्व को नहीं समझा वह सम्यक को प्राप्त नहीं कर सकता।जो रियल को नहीं जानता वह नारियल की बुराई करते हैं। सुख साधन, मोक्ष का साधन धर्म है। कमी नारियल में नहीं थी कमी उसके प्रयोग करने वाले की थी , जो कषायों का विसर्जन करके नारियल की तरह प्रभु गुरु चरणों में चढ़ जाता है वहीं रियल धर्म को प्राप्त होता है। अंधे को उजाले को समझाने की जरूरत नहीं है अपितु आखों की शल्प चिकित्सा जरूरी है।
कुछ पाने के लिए खोने की आवश्यकता है,जब तक कषायों का विसर्जन नहीं है तब तक धर्म का फल प्राप्त होने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह जीवन जबतक है, तबतक ही है; इसका एक पल भी कोई बढ़ा नहीं सकता; जब मौत आ जायगी तो कोई भी नहीं बचा पाएगा। सत्य बात तो यही है कि जीवन-मरण अशरण है, संसार में कोई भी शरण नहीं है।
चाहे कैसी भी मणि हो,मंत्र हो,तंत्र हो,बड़े से बड़ी शक्ति हो,माता,पिता,देवी,देवता,सेना,औषधि,पुत्र या कैसा भी चेतन या अचेतन पदार्थ हो ,मृत्यु से कोई नहीं बचा सकता है।
धर्मसभा में आशीष रावत जि.पं.सदस्य, साहेबन्द्र सिंह, काशीराम रजक ग्राम प्रधान आदि का सम्मान आयोजन समिति के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। संचालन संजीव जैन “कुमकुम” टीकमगढ़ ने किया।
महोत्सव के प्रचारमंत्री डॉ. सुनील संचय ललितपुर ने बताया कि अतिशय क्षेत्र बानपुर में दसवीं शताब्दी की मूर्तियाँ विद्यमान हैं। हजारों वर्ष पुराना सहस्रकूट चैत्यालय शिल्पकारी का उत्कृष्ट नमूना है। शांतिनाथ बड़े बाबा की विशाल 18 फुट ऊँची प्रतिमा अतिशय युक्त है। कुन्थुनाथ, अरहनाथ की विशाल प्रतिमायें भी विराजित हैं। ऐतिहासिक, पुरातात्विक , सांस्कृतिक और शौर्य भूमि बानपुर में पंचकल्याणक महोत्सव का ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है।
समिति के अध्यक्ष नायक महेंद्र जैन बानपुर ने बताया कि आयोजन की भव्यता को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। इस मौके पर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के सौधर्मइंद्र सुनील जैन नगर सेठ सहित जैन समाज के अनेक लोग आदि उपस्थित रहे। आभार बानपुर तीर्थक्षेत्र के अध्यक्ष महेन्द्र नायक ने किया।

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