शोहदा-ए-कर्बला की याद में सात मोहर्रम का मातमी जुलूस अजाखाना कटरा गुलाम अली से बरामद हुआ। अंजुमन-ए-तहफ्फुजे अजादारी की तदर्थ कमेटी के तत्वावधान में जुलूस में सबसे आगे ऊंटों का काफिला था। अराईश की खासियत ये थी कि हर तख्त पर ऊंची छतरी का साया था। इसके अलावा जुलूस में चांदी का झूला था जो हजरत इमाम हुसैन के काफिले में उनके छह माह के बेटे हजरत अली असगर की मासूम शहादत की याद ताजा कर रहा था। मैदाने कर्बला में हुरमला ने अपने तीर से इमाम हुसैन के हाथों पर मासूम अली असगर को कत्ल कर दिया था। रौशन चौकियों को रंगबिरंगी कागज के फूलों से सजाया गया था। अराईश के पीछे शबीहे ताबूत और दुलुदल चल रहे थे। सात मोहर्रम के जुलूस में शामिल दुलदुल पर खुबसूरत चादर, तलवार व तबर भी लगी हुई थी। हुसैनी बाजा बज रहा था।
जिसके पीछे अजादाराने हुसैन या हुसैन या हुसैन की सदाएं बुलंद करते चल रहे थे। जुलूस की शुरूआत में मास्टर तबारक अली व हमनवा ने मरसिया पढ़ा। जुलूस अपने तयशुदा रास्तों से गश्त करते हुए देर शाम अजाखाना कटरा गुलाम अली पहुंचकर संपन्न हुआ। जुलूस की समाप्ति के बाद मरसिया…तन्हा सिपाहे शाम जब घिर गया हुसैन पढ़ा गया। नईम हैदर, वसीम हैदर, सलीम अम्रोहवी ने नौहा खानी कि जिसे सुनकर गमगीन अजादारों ने सीनाजनी की।
जुलूस में जिलाधिकारी अमरोहा द्वारा जुलूस अजा के लिए नामित अंजुमन तहफ्फुजे अजादारी की तदर्थ समिति के सदस्य लियाक़त अली, ज़िया एजाज़, बाक़र रज़ा नक़वी, नदीम नक़वी, शेज़ाद रज़ा, क़ासिम ज़ैदी आदि मौजूद थे। जुलूस का संचालन अंजुमन रजाकाराने हुसैनी ने किया। रजाकारान काईद गुलाम सज्जाद, नयाब क़ाईद इमदाद आब्दी, जनरल सेक्रेटरी खुर्शीद हैदर जैदी,मौ तकी,डॉ. चन्दन नकवी, वसीम जैदी, सलीम जैदी, मोहम्मद हैदर, गालिब हुसैनी, शाने मुज्तबा, हुसैनी,कमर रजा सलीम,जाफर रजा, काशिफ़ जैदी आदि ने किया। हिंदू समाज के लोगों ने अपने परिवार के साथ मोहल्ला मंडी चौब मे जुलूस का स्वागत किया तथा अज़ादारों को शरबत पिला कर इमाम हुसैन से अपनी अक़ीदत का इज़हार करते हुए नज़र कराई और भाईचारे का पैगाम दिय।