अवधनामा संवाददाता
सीएमओ ने कहा- परिवार नियोजन का मुख्य उद्देश्य मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना
कोविड की संभावित तीसरी लहर से निपटने की जिले में की गयी है मुकम्मल व्यवस्था
सीफार के तत्वावधान में परिवार कल्याण कार्यक्रमों पर मीडिया कार्यशाला आयोजित
ललितपुर (Lalitpur)। विकास के उपलब्ध संसाधनों के समुचित वितरण और बढ़ती जनसंख्या दर के बीच संतुलन बनाने के लिए जनसँख्या स्थिरीकरण आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। परिवार में अगर दो ही बच्चे होंगे तो उन सीमित साधनों का समुचित उपयोग कर उनको बेहतर जीवन प्रदान किया जा सकता है। इसलिए बच्चे दो ही अच्छे का संदेश जन-जन तक पहुंचाना हम सभी की जिम्मेदारी है। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.गोविन्द प्रसाद शुक्ला ने मंगलवार को स्थानीय एक होटल में परिवार नियोजन व अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कहीं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि दुनिया की आबादी सात अरब के आगे निकल चुकी है और पृथ्वी की क्षमता से 1.10 अरब ही दूर हैं। भारत सबसे अधिक आबादी वाला दूसरा देश है और यही स्थिति रही तो हम आने वाले दो साल के भीतर पहले स्थान पर पहुँच जायेंगे। इसलिए सीमित संसाधनों को देखते हुए परिवार को भी सीमित रखना बहुत जरूरी है। इसके अलावा परिवार नियोजन का मुख्य उद्देश्य मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना है। परिवार नियोजन के अलावा उन्होंने कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर पर कहा कि यह अभी सुनिश्चित नहीं है कि तीसरी लहर आएगी ही लेकिन जिन परिवारों में 18 साल से कम उम्र के बच्चे हैं वह समय से टीकाकरण जरूर करा लें ताकि बच्चों को सुरक्षित बनाया जा सके। इस मौके पर परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. अजय भाले ने कहा -परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की सक्रिय भागीदारी इस वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है, क्योंकि पुरुष नसबंदी महिला नसबंदी की अपेक्षा बहुत ही सरल और आसान है। इसका कोई दुष्प्रभाव भी शरीर पर नहीं पड़ता है, इसलिए किसी भी भ्रम में पड़े बगैर पुरुष वर्ग आगे आये और परिवार पूर्ण होने पर नसबंदी की सेवा का लाभ उठाये। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता बढ़ाने के लिए ही जनसँख्या स्थिरता पखवारे की थीम- “खुशहाली का आधार-पुरुष जिम्मेदार” रखी गयी है। उन्होंने जिले में परिवार कल्याण को लेकर चलाये जा रहे कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने नसबंदी पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि और नसबंदी असफल होने पर मिलने वाली क्षतिपूर्ति राशि के बारे में भी बताया और मीडिया से इसके ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार की भी अपेक्षा की। बच्चों के जन्म में अंतर रखने के लिए ओरल पिल्स, आईयूसीडी प्रसव पश्चात/गर्भ समापन पश्चात्, त्रैमासिक गर्भनिरोधक इंजेक्शन अंतरा, हार्माेनल गोली छाया व कंडोम की सुविधा हर स्वास्थ्य केन्द्रों पर मुफ्त उपलब्ध है। इसलिए अनचाहे गर्भ से बचने के लिए इन सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है। महामारी रोग विशेषज्ञ डॉ. देशराज ने कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए जिले में की गयी मुकम्मल व्यवस्थाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा- संभावित तीसरी लहर का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ने की बात कही जा रही है, उसको देखते हुए स्टाफ के प्रशिक्षण के साथ ही अस्पतालों में पर्याप्त व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि कोरोना अभी ख़त्म नहीं हुआ है, इसलिए हमें कोविड प्रोटोकाल को भूलना नहीं है। इसलिए जब भी बाहर निकलें तो मास्क जरूर लगाएं, एक दूसरे से दो गज की दूरी रखें और समय- समय पर हाथों को धोते रहें। इसके अलावा जल्दी से जल्दी टीकाकरण कराकर खुद के साथ दूसरों को भी सुरक्षित बनाएं। कार्यशाला में जिला कार्यक्रम प्रबन्धक रजिया फिरोज ने बताया कि गर्भवती के बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के लिए हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया जाता है। इसके जरिये उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को चिन्हित किया जाता है और उनके सुरक्षित प्रसव को लेकर खास सतर्कता बरती जाती है। जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (डीसीपीएम ) गणेश ने स्वास्थ्य सेवाओं में फ्रंट लाइन वर्कर की भूमिका की सराहना की और कहा कि योजनाओं को धरातल तक पहुंचाने में उनका योगदान सराहनीय है। कार्यशाला में उपस्थित मीडिया प्रतिनिधियों ने भी विभिन्न योजनाओं और उनके लाभार्थियों से जुड़े सवाल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से किये। कार्यशाला में उपस्थित सीफार के स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजर शशिधर द्विवेदी ने संस्था के बारे में परिचय के साथ ही क्रियाकलापों पर प्रकाश डाला और कार्यशाला में उपस्थित मीडिया प्रतिनिधियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। संस्था की झाँसी व चित्रकूट मंडल की समन्वयक सोनम राठौर और जिला कार्यक्रम समन्वयक आरफा ने स्वास्थ्य विभाग व मीडिया के सहयोग से जन-जन तक पहुँचने वाले स्वास्थ्य संदेशों पर प्रस्तुतीकरण दिया। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. डीसी दोहरे, टीएसयू से जिला परिवार कल्याण विशेषज्ञ, क्वालिटी कंसल्टेंट डा.तारिक, ब्लॉक से प्रभारी चिकित्सा अधिकारी सहित सीफार के प्रतिनिधि राहुल आर्या उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन क्वालिटी मेंटर शालिनी के द्वारा किया गया।
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