जिम्मेदारों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल, तहसीलदार ने बताई कानूनी प्रक्रिया
मौदहा (हमीरपुर)। कस्बे में इन दिनों अवैध प्लाटिंग का कारोबार जोरों पर है। कृषि भूमि को बिना अनुमति व्यावसायिक उपयोग में बदलकर भू-स्वामी और प्लाटिंग कारोबारी खुलेआम राजस्व की चोरी कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और राजस्व विभाग की मिलीभगत या फिर अनदेखी के चलते सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार नगर मौदहा समेत आसपास के राजस्व क्षेत्र में उपजाऊ कृषि भूमि को प्लाटिंग के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। नियमानुसार, किसी भी कृषि भूमि को व्यावसायिक उपयोग में बदलने के लिए राजस्व विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य है। यह प्रक्रिया राजस्व संहिता की धारा 80 के तहत की जाती है, जिससे सरकार को राजस्व प्राप्त होता है। लेकिन मौदहा क्षेत्र में यह प्रक्रिया कागजों तक सीमित रह गई है।
कहां-कहां हो रही अवैध प्लाटिंग
राजकीय महाविद्यालय के पीछे, कम्हरिया रोड, मीरा तालाब कॉलोनी, स्टेशन रोड, कपसा रोड और मुस्करा रोड पर अवैध प्लाटिंग का कारोबार तेजी से फैल रहा है। खुलेआम हो रही इस गतिविधि को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि प्लाटिंग माफियाओं को प्रशासन का पूरा संरक्षण प्राप्त है।
जिम्मेदारों की चुप्पी सवालों के घेरे में
प्रशासन की चुप्पी और राजस्व विभाग की निष्क्रियता से आम नागरिकों में असंतोष व्याप्त है। लोगों का कहना है कि जहां अवैध निर्माण या अतिक्रमण पर त्वरित कार्रवाई होती है, वहीं करोड़ों के इस राजस्व घोटाले पर अधिकारी मौन हैं।
तहसीलदार मौदहा शेखर मिश्रा ने बताया
इस संबंध में जब तहसीलदार मौदहा शेखर मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि—
“कृषि भूमि को व्यावसायिक भूमि में बदलने की प्रक्रिया धारा 80 के तहत होती है। यदि वह भूमि नगर क्षेत्र में आती है, तो नगरपालिका का दायित्व है कि वह पूरी प्रक्रिया को विधिक रूप से संपन्न कराए, अन्यथा यह अवैध माना जाएगा।”
फिलहाल अवैध प्लाटिंग का यह कारोबार जहां भू-माफियाओं को मालामाल कर रहा है, वहीं सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहा है। स्थानीय लोगों की मांग है कि जिला प्रशासन तत्काल जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे।





