इटावा। दुख निवारण गुरूद्वारा श्री गुरुतेग बहादुर साहिब में सरवंशदानी गुरू गोविन्द सिंह का प्रकाशोत्सव मानस की जाति सबै एकै पहिचानबो के उदघोष के साथ श्रद्धा व हर्ष के साथ मनाया गया।श्री गुरु गोविन्द सिंह जी के पावन प्रकाश पर्व की तैयारियाँ पिछले दस दिनों से चल रही थी,दस दिन से चल रही प्रभात फेरी जिसमें श्रद्धालू भक्तगण,स्त्री,बच्चे, बूढ़े व नौजवान गुरूवाणी का सबद वाहो-वाहो गुरूगोविन्द सिंह आपे गुरु चेला, गायन करते हुये और “बोले सो निहाल सत श्री अकाल” के जयकारों के साथ नगर की सड़कों पर निकल पड़ते थे।इसी क्रम में गुरूद्वारा में दस अखण्ड पाठ साहिब की श्रंखला प्रारम्भ हुई,जिसका समापन अर्धरात्रि में सबद कीर्तन व आरती के गायन के साथ पुष्पवर्षा करते हुये हुआ।
प्रकाशोत्सव में सोमवार को सुबह से ही गुरूद्वारा में माथा टेकने के लिये स्त्री,बच्चे,बूढ़े व नौजवानों का तांता लगा रहा,सभी समुदाय के लोगों ने गुरूद्वारा में आकर माथा टेका व अरदास की।
गुरूद्वारा कमेटी के अध्यक्ष सरदार तरन पाल सिंह कालरा ने साहिबे कमाल गुरू गोविन्द सिंह के प्रकाशोत्सव पर सभी को बधाई देते हुये कहा कि गुरू साहिब समाज सुधारक व सूरवीर योद्धा ही नहीं बल्कि उच्च कोटि के कवि भी थे,आपकी काव्यक अनुभूति दैवीय थी,आपके अन्दर दार्शनिक,काल्पनिक,अध्यात्मिक आदि सभी गुण मौजूद थे,गुरू महाराज के ह्रदय के अन्दर दबे,कुचले लोगों को ऊपर उठाने का महान जज्बा था।गुरु गोविंद सिंह में भक्ति,शक्ति,ज्ञान,वैराग्य, समाज का उत्थान और धर्म और राष्ट्र के नैतिक मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान की मानसिकता से ओत-प्रोत अटूट निष्ठा तथा दृढ़ संकल्प की अद्भुत प्रधानता थी।उन्होंने बताया कि गुरु गोविंद सिंह महान कर्मप्रणेता,अद्वितीय धर्मरक्षक,ओजस्वी वीर रस कवि और संघर्षशील वीर योद्धा थे।मानवीयता की पहली शर्त मनुष्य की गरिमा की रक्षा करना है,मनुष्य को छोटा बनाकर कोई धर्म कोई दर्शन कोई विचारधारा बड़ी नहीं बन सकती है,इसी मानवीयता की रक्षा में श्री गुरूगोविन्द सिंह जी का सन्त सिपाही रूप चरित्रार्थ होता है।श्री कालरा ने कहा कि श्री गुरूगोविन्द सिंह जी जैसे व्यक्तित्व जिसमें ब्रह्मतेज,क्षत्रिय तेज के साथ ही अदभुत कवित्व शक्ति का भी संयोग है,जो विश्व साहित्य में सचमुच अनोखा व अद्वितीय है।उन्होंने कहा कि आज खालसा पंथ के संस्थापक बादशाह दरवेष दशम गुरू श्री गुरू गोविन्द सिंह जी का आगमन पर्व सम्पूर्ण विश्व के कौने-कौने में मनाया जा रहा है।इस मौके पर उन्होंने गुरूवाणी की कुछ पक्तियाँ प्रस्तुत की ‘‘वाहौं-वाहौं गुरूगोविन्द सिंह आपे गुरू चेला’’।उन्होंने बताया कि गुरू गोविन्द सिंह संत और सिपाही की एक अद्वितीय शख्सियत थी जो धर्म गुरू भी थे और धर्म योद्वा भी थे,ऐसी शख्सियत धरती पर दूसरी नहीं हुई है।त्याग और वीरता की मिसाल गुरु श्री गोविंद सिंह ने बाल विवाह,सती प्रथा,बहुविवाह,लड़की पैदा होते ही मार डालने जैसी बुराइयों के खिलाफ अपनी आवाज हमेशा बुलंदी के साथ उठाई थी।प्रकाशोत्सव पर गुरूद्वारा श्री गुरु तेगबहादुर साहिब के अन्दर पालकी साहिब व गुरूद्वारा की सजावट अनोखी छटा बिखेर रही थी,पालकी साहिब को फूलों से सजाया गया था,इसकी सेवा युवा बच्चों द्वारा की गयी थी और पूरे गुरूद्वारे को बिजली से सजाया गया था।दोपहर में कार्यक्रम की समाप्ति के बाद एक विशाल लंगर का आयोजन किया गया,जिसकी तैयारियाँ सरदार चरनजीत सिंह काका,मनदीप सिंह कालड़ा,रिंकू मोंगा,जसवीर सिंह राजा साहनी,यश,राजू गुलाटी,दीपू अरोड़ा द्वारा एवं सजावट की सेवा ऐकस कालरा, मन्नत टुटेजा,टीशल,सिमर जोत व उनके सहयोगी साथियों की देख-रेख में की गयी थी।गुरुद्वारा साहिब में रात्रि के दीवान में बच्चों के सवद गायन,भजन कीर्तन,कविताओं के गायन के साथ शुभारम्भ हुआ जो कि अर्धरात्रि तक चलता रहा।मुख्य ग्रन्थी भाई गुरदीप सिंह,उत्तम कौर,किशन सिंह व साथियों ने सबद कीर्तन करके संगत को निहाल किया।इस अवसर पर समस्त गुरूद्वारा कमेटी की तरफ से गुरूपर्व पर सभी को बधाई दी व अखण्ड पाठ साहिब की सेवा करने वाले परिवारों को सरोपा भेंट किया गया व सहयोग देने वाले श्रद्धालुओं का धन्यवाद तथा आभार व्यक्त किया।
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