खतरे की सवारी पर बैठकर तलाश कर रहे “दोषी”

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डग्गामार है वाणिज्य कर अफसरों की कहानी
खुद की छेद वाली नाव पर बैठकर कर रहे ‘मगरमच्छो’ की तलाश
अफसर की गाड़ी का ना बीमा है, ना फिटनेस ना प्रदूषण प्रमाण पत्र रामभरोसे व्यवस्था 
दूसरों की कमियां ढूंढने वाले को खुद नजर नही आती अपनी कमी
शाहजहाँपुर।किस्सा अगर जेब गरम करने से जुड़ा हो तो हर अधिकारी ईमानदारी के लिए आवश्यक सभी कसमों का सहारा ले लेता है। लेकिन बात अगर उपरोक्त शब्दों के प्रतिकूल हो तो कर्म के प्रति स्वीकार की गयी शपथ भी इनके लिए मायने नहीं रखती। शाहजहांपुर में स्थित वाणिज्य कर कार्यालय के सुपरबास की। जिनके भ्रमण के लिए निश्चित किया  गया वाहन संख्या UP41G0551 जो कि सालों से मृतप्राय होकर भी उनका भार झेलने को मजबूर है। बता दें कि वाणिज्य कर अधिकारी के  उपरोक्त संख्या वाहन की फिटनेस बीते वर्ष 2023 में अपनी अंतिम सांस ले चुकी है। यही नहीं उपरोक्त वाहन ने इनश्योरेन्स व्यवस्था का भी बीते कई सालों पहले साक्षात्कार किया था। प्रदूषण प्रमाण पत्र की बात करें तो शायद यह वाहन ऐसी किसी व्यवस्था से वर्तमान में परिचित नही है। ऐसे वाहन पर बैठकर अफसरगण व्यापारियों के दोष तलाशने के लिए तैयार होकर रोजाना घर से निकलते हैं। जबकि सच तो यह है कि इन्हीं अफसरों की मिलीभगत से संचालित सैंकड़ों अवैध फर्में प्रतिदिन राजस्व के लाखों रुपयों का  घोटाला कर रही हैं। लेकिन सरकार द्वारा अधिकृत वाहन पर बैठा अफसर ही जब “गुडफील” नहीं कर रहा तो दोषी क्यों “फीलगुड” ना करें।
पूरे कथानक का सिर्फ इतना सार है कि ड्यूटी के दौरान आवंटित वाहन पर सवार विभागीय अफसर सही और गलत का अनुमान आखिर कैसे लगाते होंगे?
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