अपनी भक्ति से ही परमात्मा को प्रसन्न करके सत्कर्म का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है- पंडित सीताराम

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अवधनामा संवाददाता

आजमगढ़। ‘बड़े भाग्य मन मानुष तन पावा’ अर्थात् मनुष्य का जन्म बड़े ही भाग्य से होता है। 84 लक्ष्य योनियों में भटकने वाली आत्मायें देवता आदि भी मनुष्य जीवन की कल्पना करते है और मनुष्य के जीवन में मोक्ष प्राप्त करना है तो सत्कर्म और परमात्मा की भक्ति करनी पड़ेगी। क्योंकि मनुष्य का जीवन साधना करने का एक मात्र साधन है। अपनी भक्ति से ही परमात्मा को प्रसन्न करके सत्कर्म का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। भगवान श्रीराम की भक्ति के कारण श्री हनुमान जी महाराज संसार में अजर-अमर होकर धर्म रक्षा हेतु समर्पित है। भगवान भोलेनाथ श्रीराम कथा के सबसे बड़े वाचक है। किशुनदासपुर में जो यह कथा दिनांक 15 अप्रैल से सायं काल 7.30 से 10.30 रात्रि तक होती है वह श्री हनुमान जी व श्री शंकर जी के कृपा से हो रही है। मनुष्य के जीवन का आधार धर्म है और धर्म का आधार सत्कर्म है। मनु और सतरूपा भगवान के परम भक्त होकर अपनी भक्ति से परमात्मा को प्रसन्न कर परमात्मा के सामान पुत्र कामना की अभिलाषा को परमात्मा की स्वीकृति प्राप्तोपरांत राजा दशरथ और कौशिल्या के रूप में पिछले जन्म की तपस्या के उस परिणाम को यथार्थ करते हुए बाल रूप भगवान विष्णु, प्रभु राम के रूप में कौशिल्या के गर्भ से अवतरित हुए। जबकि राजा दशरथ के पुत्र न होने के कारण काफी उदासी और चिंतनोपरांत अपने गुरू से जब यह अभिलाषा व्यक्त की उनके गुरु ने यज्ञ करने की सलाह दी। इस प्रकार राजा दशरथ यज्ञकर्म अपने गुरू के आदेशानुसार कर अपने तीनों रानियों, कौशिल्या, सुमित्रा व कैकेयी को खीर हब्य का प्रसाद प्राप्तोपरांत ही श्रीराम, श्री लक्ष्मण, श्री भरत, श्री शत्रुघ्न का जन्म संसार के कल्याणार्थ को हुआ। जबकि हर परिवार अपने घर में राम जैसा पुत्र व सीता जैसी पुत्री की अभिलाषा रखते है। उक्त प्रवचन पंडित सीताराम नाम शरण जी महाराज ने किशुनदासपुर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा में कहा। संचालन कृपा पाठक ने किया।
इस दौरान ज्ञानू राय, रानू राय, तपन बंगाली, आनन्द राय, गोपाल साहू, सुशील पाठक विन्ध्याचल शुक्ला, नवीन राय, पियूष राय, बृजेश मौर्य, रमाकांत यादव, राहुल यादव, डब्बू पंडित आदि मौजूद रहे।

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