Thursday, May 15, 2025
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ईद उदुज्जुहा का त्योहार पूरी अकीदत के साथ मनाया जायेगा

The festival of Eid-ud-Juha will be celebrated with full devotion

 

अवधनामा संवाददाता

अतरौलिया/आजमगढ़(Atraulia/Azamgarh)। हजरत इब्राहिम अलैहिस् सलाम की यादगार में ईद उदुज्जुहा का त्योहार पूरी दुनिया के मुसलमान बड़े ही अकीदत के साथ मनाते हैं ।अल्लाह ताला के दरबार में कुर्बानी बहुत पसंद है। हदीस शरीफ में आया है कि कुर्बानी के दिनों में बन्दे का कोई अमल अल्लाह ताला के नजदीक कुर्बानी से बढ़कर मकबूल नहीं है। कुर्बानी के जानवर के खून का हर कतरा जमीन पर गिरने से पहले बारगाहे इलाही में कुबूल हो जाता है। कुर्बानी के जानवर के हर बाल के बदले एक एक नेकी कुर्बानी करने वाले को मिलती है। ईद उदुज्जुहा का महीना इस्लामी महीने का आखिरी महीना है। कुर्बानी की रस्म अदा करने से पैगंबर हजरत इब्राहिम खलीलुल्ला अलैहिस्सलाम की सुन्नत अदा होती है। रवायत है कि अल्लाह ताला ने जब हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम का इम्तहान लेना चाहा तो उनके माल व दिल का इम्तिहान लिया और ख्वाब में अपनी राह में कुर्बानी का हुक्म दिया। दूसरे दिन सुबह इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने 100 ऊंट अल्लाह की राह में कुर्बान किया। फिर अल्लाह ताला का हुक्म हुआ कि मेरी राह में कुर्बानी करो तो फिर सुबह इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने 1000 ऊंट की कुर्बानी कराएं तीसरे दिन भी हुआ तो इब्राहिम अली सलाम ने कहा या अल्लाह मैं क्या कुर्बान करूं, तो हुक्म हुआ  की तुम्हारे निगाह में दुनिया में जो सबसे अजीज हो वह मेरी राह में कुर्बान करो, इब्राहिम अलैहिस्सलाम  ने अपने ख्वाब की ताबीर अपने लख्ते जिगर प्यारे बेटे  इस्माइल अलैहिस्सलाम को बताया जो उनके लिये दुनिया में सबसे अजीब थे । उन्होंने कहा ए मेरे प्यारे बेटे मैंने ख्वाब में देखा है कि मैं तुम्हें राहे खुदा में कुर्बान कर रहा हूं जैसा कि खुदा का हुक्म है। तो हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम ने फरमाया ऐ अब्बा जान अगर अल्लाह को यही मंजूर है तो आप वैसा ही कर डालिये खुदा की राह में मेरी जान की क्या औकात खुदा ने चाहा तो आप मुझे सब्र करने वाला पाएंगे। खुदा के हुक्म के मुताबिक हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम अपने प्यारे बेटे हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम को नाहला धुलाकर अच्छे कपड़े पहना कर मक्के की वादी की तरफ हाथ में रस्सी व झुरी लेकर चल दिये जबह करने वाली जगह पर पहुंचकर जब इब्राहिम अलैहिस्सलाम रुके तो इस्माइल अलैहिस्सलाम ने अपने बाप से अर्ज किया कि अब्बा जान मेरी कुछ शर्त मानने के बाद आप मुझे कुर्बान करें। उन्होंने कहा कि जबह करने वाली छुरी को पूरी तरह रगड़ ले और  मेरे हाथ पैर को रस्सी से कसकर बांध दें ताकि उस वक्त मेरे शरीर में जुंबिश ना हो जिससे अल्लाह ताला को नागवार लगे तथा अपने आंख पर पट्टी बांध लें जिससे  मुझे जबह  होते देख आप के रहम न आ जाए और आपकी छुरी रुक ना जाए और  मेरे जबह होने की बात हमारे  अम्मी  जान को ना बताएं। उन तमाम शर्तों को मानने के बाद हुक्म खुदा बंदी के मुताबिक बाप ने बेटे को लिटा कर उनके हलक पर छुरी रख दी छुरी रखते ही अर्से मोअल्ला हिल गया सारे फरिश्ते पुकार उठे अल्लाह यह क्या हो रहा है। छुरी हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम के गले पर चल नहीं पाई थी कि हजरत जिब्राइल अलैहिस् सलाम को हुक्म हुआ कि जल्दी से एक दुम्बा इस्माइल अलैहिस्सलाम की जगह लिटा दो छुरी इब्राहिम के प्रयास से नहीं चली तो उन्होंने छुरी को गुस्से से रगडा छुरी में बोलने की ताकत हो गई। छुरी ने कहा आपका हुक्म हो रहा है जबह करने का और अल्लाह का हुक्म है कि मैं जबह ना करूं तो मैं अल्लाह के हुक्म के आगे क्या करूं। इस इम्तिहान  में इब्राहिम अलैहिस्सलाम व  इस्माइल अलैहिस्सलाम खरे उतरे इस्माइल अलैहिस्सलाम की जगह दुम्बा लिटा दिया गया तथा इस्माइल अलैहिस्सलाम की रस्सी खुल गई तथा इस इब्राहिम अलैहिस्सलाम  की आंख की पट्टी खुल गई। हुक्म हुआ छुरी  चलाओ दुंबा जबह हुआ और इस्माइल  अलैहिस्सलाम  जबह होने से बच गए अगर वह जबह हो जाते तो आज भी मुसलमानों को अपनी औलाद की कुर्बानी राहें खुदा में देनी पड़ती। यह त्यौहार इब्राहिम अलैहिस्सलाम  की यादगार में मनाया जाता है और इन्हीं की सुन्नत है। तभी से यह कुर्बानी राइज हुई है। आज भी इस महंगाई के समय अकीदत मन्द मालदार मुसलमान कीमती से कीमती जानवरों की कुर्बानी करके इब्राहिम अलैहिस्सलाम के यादगार को ताजा करते चले आ रहे हैं। और ता कयामत तक इसी तरह होता रहेगा। इस महीने में हिंदुस्तान के लाखों हाजियों का काफिला हज बैतुल्लाह के लिए मक्का मदीना जाते थे लेकिन कोविड-19 के चलते हाजियों का जाना बंद है। तथा सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से ईदुज्जुहा की नमाज मस्जिद में सिर्फ 50 लोग ही पड़ेंगे। बाकी लोग  डिस्टेन्सिन्ह का पालन करते हुए अपने अपने घरों मे ईदुज्जुहा की नमाज अदा करेंगे अल्लाह ताला तमाम मुसलमानों के कुर्बानी को कुबूल करें। आमीन्।
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