सुलतानपुर। सुपरिचित कवि श्री नारायण लाल श्रीश के पचहत्तरवां जन्मदिन अमृत महोत्सव श्रीश जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर केंद्रित अभिनन्दन ग्रन्थ “श्रीश सौष्ठव”का लोकार्पण भी सभाध्यक्ष एवं अतिथियों द्वारा किया गया। डॉ सुशील कुमार पाण्डेय ने श्रीश को चर्चित तथा प्रतिष्ठित रचनाकार के रूप में निरूपित किया। डॉ शोभनाथ शुक्ल ने श्रीश जी की रचनाधर्मिता की प्रशंसा करते हुए उन्हें आदर्श शिक्षक के रूप में याद किया।
सुपरिचित कवि श्री नारायण लाल “श्रीश ” का पचहत्तरवां जन्मदिन अमृत महोत्सव के रूप मे मेहमान अतिथि गृह के सभागार में धूमधाम से मनाया गया।
कहानीकार चित्रेश जी ने उन्हें विशिष्ट शालीन और रससिद्ध साहित्यकार बताया। महाकवि विजय शंकर मिश्र भास्कर की दृष्टि में श्रीश जी मनुष्य तथा रचनाकार के रूप में अन्यतम हैं। अनेक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाओं के संस्थापक हनुमान प्रसाद सिंह ,अभिषेक ने श्रीश जी की शालीनता और काव्य प्रतिभा की भूरि भूरि सराहना की। हबीब अजमली ने उन्हें आम आदमी का खास कवि कहा और उनकी कविताओं को लाजवाब बताया । सारस्वत अतिथि डॉ वेदप्रकाश आर्य ने श्रीश पर अपने यादगार संस्मरण सुनाए । विशिष्ट अतिथि साहित्यकार कमल नयन पाण्डेय ने उन्हें पिंगल शास्त्र का मर्मज्ञ कवि बताते हुए उनके रचना संसार की सराहना की। मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ रामजी तिवारी ने श्रीश जी की शालीनता एवं काव्यप्रतिभा दोनों को असाधारण बताते हुए उनके शतायु होने की कामना की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अवधी के शलाका पुरुष डॉ प्रदीप ने श्रीश जी की बहुमुखी प्रतिभा की सराहना की और उनके दीर्घायु की कामना की।सुकवि हरिनाथ शुक्ल की वाणी वन्दना ने लोगों को बहुत प्रभावित किया और प्रतिष्ठित कवि नरेन्द्र शुक्ल के स्वागत गीत से सबके अन्तर्मन प्रफुल्लित हो गये।अंत में पं रामनरेश त्रिपाठी स्मृति सेवा संस्थान के अध्यक्ष माननीय जयंत कुमार त्रिपाठी ने आए हुए अतिथियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।समारोह के अध्यक्ष डॉ आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, मुख्य अतिथि प्रोफेसर डॉ रामजी तिवारी, विशिष्ट अतिथि साहित्यकार कमल नयन पाण्डेय, सारस्वत अतिथि डॉ वेदप्रकाश आर्य और सूत्रधार थे डॉ ओंकार नाथ द्विवेदी।
उपस्थित लोगों में प्रसिद्ध उपन्यासकार सोमेश शेखर चन्द्र, विजय नाथ पाण्डेय,डॉ करुणेश भट्ट, अवनीश प्रताप पाण्डेय, डॉ उमाशंकर लाल, अरुण कुमार श्रीवास्तव, पीयूष कुमार श्रीवास्तव, प्रत्यूष कुमार श्रीवास्तव। दयानिधि मिश्र, डॉ रामप्यारे प्रजापति, डॉ सुरेश चन्द्र शर्मा, श्याम नारायण श्रीवास्तव, महाकवि पवन कुमार सिंह, दानिश सुल्तानपुरी और इन सबसे ज्येष्ठ तथा श्रेष्ठ, राष्ट्रीय स्तर के कवि डॉ डीएम मिश्र की उपस्थिति एवं वाग्मिता ने समारोह में चार चांद लगा दिए ।
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