Tuesday, March 4, 2025
spot_img
HomeLucknowभागवत कथा से भक्त काम, क्रोध, लोभ और भय से होता है...

भागवत कथा से भक्त काम, क्रोध, लोभ और भय से होता है मुक्त

अवधनामा ब्यूरो
कुशीनगर। भागवत कथा से भक्त में सदगुणों का विकास होता है, वह काम, क्रोध, लोभ, भय से मुक्त होता है।समुद्र मंथन से तो एक बार में केवल चौदह रत्न मिले थे पर आत्ममंथन से तो मनुष्य को परमात्मा की प्राप्ति होती है। जो हरि का दास है वह सुख दुख से परे होकर हमेशा परमानंद की स्थिति में रहता है।
पडरौना नगर के श्री चित्रगुप्त मंदिर में आयोजित भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को श्रोताओं को कथा का रसपान कराते हुए अन्तर्राष्ट्रीय कथा वाचक महर्षि अजय दास महाराज ने कही।  उन्होंने प्रह्लाद और मीरा का उदाहरण देते हुए भक्त की महानता का वर्णन किया। कथा में व्यास जी महाराज ने शिव पार्वती विवाह के माध्यम से लोगों को संदेश दिया कि वह नारी शक्ति का सम्मान करेंगे, तभी समाज का सर्वांगीण विकास होगा। इस मौके पर अलौकिक प्रेम का संदेश देती रासलीला की प्रस्तुति भी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। उन्होंने कहा कि परमात्मा ही परम सत्य है। जब हमारी वृत्ति परमात्मा में लगेगी तो संसार गायब हो जाएगा। प्रश्न यह है कि परमात्मा संसार में घुले-मिले हैं तो संसार का नाश होने पर भी परमात्मा का नाश क्यों नहीं होता। इसका उत्तर यही है कि भगवान संसार से जुड़े भी हैं और अलग भी हैं। आकाश में बादल रहता है। और बादल के अंदर भी आकाश तत्व है। बादल के गायब होने पर भी आकाश गायब नहीं होता। इसी तरह संसार गायब होने पर भी परमात्मा गायब नहीं होते। संसार की कोई भी वस्तु भगवान से अलग नहीं है। कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के घरों से माखन चोरी की। इस घटना के पीछे भी आध्यात्मिक रहस्य है। दूध का सार तत्व माखन है। उन्होंने गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया। प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है। महर्षि ने बताया कि वास्तविकता में श्रीकृष्ण केवल ग्वाल-बालों के सखा भर नहीं थे, बल्कि उन्हें दीक्षित करने वाले जगद्गुरु भी थे। श्रीकृष्ण ने उनकी आत्मा का जागरण किया और फिर आत्मिक स्तर पर स्थित रहकर सुंदर जीवन जीने का अनूठा पाठ पढ़ाया। कथा समापन के दौरान साढ़े सात बजे भक्तों ने आरती की और फलाहार ग्रहण किया।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular