Thursday, May 15, 2025
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पसमांदा समाज को किनारे करने वाली कांग्रेस आज खुद हाशिये पर- वसीम राईन

 

 

अवधनामा संवाददाता

बाराबंकी। ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने कहा कि देश के सियासी समाजी माली और तालीमी हैसियत में सबसे कमजोर शोषित वंचित और उपेक्षित वर्ग पिछड़े दलित यानी पसमांदा मुसलमानों को कांग्रेस पार्टी के किये हुए एहसान को कभी नहीं भूलना चाहिए।
वसीम राईन आज सट्टी बाज़ार स्थित संगठन के कैम्प कार्यालय पर उपस्थित पदाधिकारियों व समाज के लोगों के बीच अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि क्योंकि ये कांग्रेस पार्टी ही है, जिसने आर्टिकल 341(3) लागू कर, दलित मुसलमानों की तरक्की कर, उन्हें दलित से पिछड़ा मुसलमान बना दिया। जिसके सीडब्ल्यूसी, पीसीसी मुखिया, एआईसीसी महासचिव, केन्द्रीय मंत्रिमंडल, राज्यपाल, केन्द्रीय आयोगो के चेयरमैन वगैरह में कभी कोई पिछड़ा दलित मुसलमान नहीं रहा। यह कांग्रेस पार्टी का ही एहसान और शासन करने का कमाल है, जिसने सिर्फ 60 साल की शासन सत्ता में पसमांदा मुसलमानों की हालत दलितो से भी बदतर कर दी। कांग्रेस पार्टी द्वारा खास मुसलमानो के लिए बनाए गए टाडा-पोटा जैसी स्पेशल सौगात व किये गए एहसान की वजह से ही लाखों बेगुनाह निर्दोष मुसलमानों की ज़िन्दगी तबाह और बरबाद हो गई। प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि यह कांग्रेस पार्टी ही है जिसकी हुकूमत मे हजारों दंगे फसाद हुए, जिसमें लाखों मुसलमानों का कत्लेआम हुआ और उनके कारोबार को साजिशन तबाह किया गया। जब कांग्रेस पार्टी का पिछड़े दलित यानी  पसमांदा मुसलमानों के ऊपर इतने बडे बड़े एहसान हैं, तो एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2024 में उसे नाकामयाब होने से भला कौन रोक सकता है। कांग्रेस ने हमेशा पन्द्रह फ़ीसदी आबादी वाले अशराफ मुस्लिमों को सिर्फ़ हिस्सेदारी दी और पचासी फ़ीसदी आबादी वाले पसमांदा मुसलमानो को सिर्फ़ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। इसीलिए कांग्रेस पार्टी ख़त्म की कगार पर पहुँच गई हैं, क्योंकि आर्टिकल 341 पर पाबंदी लगाने वाले सात लोगों में पाँच अशराफ मुस्लिम थे इसीलिए कांग्रेस को सज़ा मिल रही है। वसीम राईन ने कहा कि पसमांदा मुसलमान कभी कांग्रेस को माफ़ नही करेगा। कांग्रेस ने साठ साल हुक़ूमत की है। 10अगस्त 1950 को आर्टिकल 341 पर पाबंदी नही लगाई होती तो आज कितने पसमांदा मुस्लिम सांसद, विधायक, ब्लाक प्रमुख एवं आईएएस, आईपीएस होते। यह अशराफ मुस्लिमों की साज़िश थी कि 85 फीसदी आबादी पसमांदा मुस्लिमों की है, पन्द्रह फ़ीसदी वालों को कौन पूछेगा ? इसीलिए मौलाना अब्बुल कलाम आज़ाद व रफ़ी अहमद क़िदवाई सहित कांग्रेसी मुस्लिम लीडरान ने पाबंदी लगवाई। अशराफ मुस्लिमो का ताल्लुक़ विदेश से है। पसमांदा मुस्लिम भारत के मूल निवासी हैं। अशराफ मुस्लिम आज भी अपना टाइटिल नाम में लगाते हैं कि वह किस मुल्क से आये हैं। जैसे कि जो बोखारा से आए वो बुख़ारी लिखते हैं। अफगनिस्तान से आए वो खान इसी तरह किदवई जाफ़री आदि लिखते हैं पर पसमांदा मुस्लिम के पूर्वज हिन्दू थे वहीं से कन्वरटेड होकर मुस्लिम धर्म को अपनाया है।
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