काबुल। अफगानिस्तान में अमेरिका की महिला एवं मानवाधिकार मामलों की विशेष दूत रीना अमीरी ने देश के हालात पर चिंता जताई है। अमेरिका की विशेष दूत रीना अमीरी ने अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति को एक बड़ी त्रासदी बताया है। उन्होंने इस्लामी देशों से आवाज उठाने का आग्रह किया है। टोलो न्यूज ने सऊदी गजट अखबार के हवाले से बताया कि उन्होंने विशेष रूप से सऊदी अरब से अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों और मानवाधिकारों का सम्मान के लिए आवाज उठाने का आग्रह किया है।
विशेष दूत रीना अमीरी ने क्या कहा
विशेष दूत रीना अमीरी ने यह भी कहा कि महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा, काम और सार्वजनिक भागीदारी का अधिकार है और उन्होंने इस्लामिक अमीरात से दोहा समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का आह्वान किया है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के महासचिव और आपातकालीन राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफिथ्स ने हाल ही में कहा था कि अफगान महिलाएं और लड़कियां पीछे हट रही हैं और तालिबान को लड़कियों के स्कूल को फिर से खोलना चाहिए।
अफगानिस्तान में महिला व छात्रों के भविष्य को लेकर जताई चिंता
मार्टिन ग्रिफिथ्स ने कहा था कि महिलाओं और लड़कियों को खतरनाक अधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ रहा है। खामा प्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान ने लड़कियों के स्कूल एक साल के लिए बंद कर दिए गए हैं। एक अन्य छात्र परवाना ने कहा कि मैं उनसे स्कूलों को फिर से खोलने की अपील करती हूं, यह हमारा अधिकार है। खामा प्रेस के अनुसार, इससे पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों से उनके अधिकार छीन लिए गए हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है।
महिलाओं और लड़कियों को अधिकारों से किया गया वंचित
एमनेस्टी इंटरनेशनल की दक्षिण एशिया क्षेत्रीय निदेशक यामिनी मिश्रा ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया है और उन्हें एक अंधकारमय भविष्य का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, एक महिला अधिकारों की कार्यकर्ता नूर उज्बेक ने निंदा करते हुए कहा कि देश में छात्राओं के लिए स्कूलों के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं, जबकि यहां अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने स्थिति और खराब कर दी है, उनमें से कोई भी इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं कर रहा है।
अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति हुई खराब
बता दें कि जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, देश में अफगान महिलाओं की दुर्दशा और खराब हो गई है। तालिबान के दावों के विपरीत लड़कियों को छठी कक्षा से आगे की पढ़ाई पर रोक लगा दी गई है। साथ ही छात्राओं के ड्रेस कोड के खिलाफ भी एक फरमान जारी किया गया है। इतना ही नहीं, महिला स्वास्थ्य कर्मियों की कमी ने महिलाओं को बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंचने से रोक दिया है। साथ ही मीडिया में काम करने वाली लगभग 80 प्रतिशत महिलाओं ने भी अपनी नौकरी खो दी है। जबकि देश में लगभग 18 मिलियन महिलाएं स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं।