Tuesday, May 13, 2025
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इविवि में छात्रों की पिटाई का मामला गृहमंत्री तक पहुंचा

अवधनामा संवाददाता

प्रयागराज। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रों की पिटाई का मामला गृहमंत्री अमित शाह तक पहुंच गया है। बीजेपी एमएलसी सुरेंद्र चौधरी ने दिल्ली में अमित शाह और केन्द्रीय उच्च शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से अलग अलग मुलाकात कर मामले की जानकारी दी। चौधरी ने बताया कि शाह ने मामले पर यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी है। साथ ही छात्रों की पिटाई की निंदा की। श्री शाह ने यह संदेश भी दिया कि सरकार छात्र हितों को लेकर संवेदनशील है। छात्रों को भी हिंसा का रास्ता छोड़कर बातचीत का रास्ता बनाना चाहिए।
सुरेंद्र चौधरी ने शाह को बताया कि चार गुना फीस बढ़ोतरी को लेकर ही हिंसा हुई है। इसके विरोध में छात्र पिछले चार महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। विश्वविद्यालय की कुलपति छात्रों की समस्याओं को सुन नहीं रही हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों से बातचीत करने और उन्हें भरोसे में लेने की कोई कोशिश नहीं की है। यूनिवर्सिटी प्रशासन के अड़ियल रवैये को लेकर छात्रों में जबरदस्त नाराजगी है। तमाम छात्र अपने भविष्य और करियर को देखते हुए तमाम छात्र मजबूरी में मुंह बंद किए हुए हैं।
सुरेंद्र चौधरी ने बताया कि कुलपति प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव की नियुक्ति को लेकर जो विवाद चल रहा है। उसकी भी अमित शाह को जानकारी दी। इस मामले में दखल दिए जाने की अपील की है।
सुरेंद्र चौधरी ने नई दिल्ली में ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी मुलाकात की है। उन्हें भी इस घटना की पूरी जानकारी दी है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी इस मामले में दखल दिए जाने की अपील की है।
सुरेंद्र चौधरी ने दोनों नेताओं से कहा है कि छात्रों पर मनमाने तरीके से फीस वसूलकर और उनसे कोई संवाद न कर उनके साथ नाइंसाफी की जा रही है। इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी की गरिमा को ध्यान में रखते हुए यहां के छात्रों का उत्पीड़न बंद होना चाहिए।
माना जा रहा है कि सुरेंद्र चौधरी मामले को लेकर के कुछ और बड़े बीजेपी नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इससे पहले बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी भी फीस बढ़ोतरी और छात्रों पर कथित तौर पर हुई फायरिंग को गलत बता चुकी हैं। इसके अलावा बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने भी छात्रों के आंदोलन का पहले ही समर्थन किया है। कांग्रेस सांसद राजमणि पटेल, प्रमोद तिवारी और इमरान प्रतापगढ़ी के साथ ही असम के निर्दलीय सांसद नाबा कुमार भी इस मुद्दे को संसद में उठा चुके हैं।

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