किशोरियों ने भांजा बल्ला, खूब लगाए चौके-छक्के

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अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान 
हमीरपुर बीहड़ के गांवों की किशोरियों ने मौका मिलते ही मैदान में जमकर चौके-छक्कों की बारिश की। समर्थ फाउंडेशन और सहयोग संस्था द्वारा किशोरियों की खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन कुरारा ब्लाक के पचखुरा गांव में कराया गया था। किशोरियों को चौका-छक्का लगाते देख दर्शकों ने तालियां बजाकर उत्साहवर्द्धन किया। इसके अलावा कई अन्य प्रतियोगिताएं भी हुई।
समर्थ फाउंडेशन व सहयोग संस्था मिलकर किशोरी स्वास्थ्य पर कुरारा ब्लाक के खरौंज, कुतुबपुर, बरुआ, टोडरपुर, रघवा गांवों में लर्निंग एण्ड अवेयरनेस सेंटर चला रही है। इन सेंटरों में किशोरियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के साथ ही स्कूली शिक्षा भी दी जाती है। कोरोना संक्रमण के दौरान किशोरियों की इन्हीं सेंटरों के माध्यम से काफी मदद भी हुई।
सेंटर की किशोरियों के लिए कुरारा ब्लाक के पचखुरा गांव में खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में किशोरियों की क्रिकेट टीमें आकर्षण का केंद्र रही। किशोरियों की पांच टीमों के बीच मुकाबले हुए। जिसमें आखिरी कुतुबपुर और खरौंज की टीम ने फाइनल में जगह पक्की कर ली। कुतुबपुर टीम की कप्तान माधुरी प्रजापति ने गेंद और बल्ले दोनों से जबरदस्त प्रदर्शन किया। माधुरी ने कहा कि क्रिकेट अभी तक टीवी में देखते रहे हैं। पहली बार खेलने का मौका मिला तो इसे हाथ से जाने नहीं दिया। खरौंज टीम की कप्तान शांति भी क्रिकेट को लेकर उत्साहित दिखी। ग्राम प्रधान पचखुरा अरविंद कुमार ने क्रिकेट मैच का उद्घाटन किया। विकेश यादव में कमेंट्री की। इसके अलावा चम्मच रेस, कुर्सी दौड़, भाषण प्रतियोगिताएं भी हुई। इन प्रतियोगिताओं में डेढ़ सैकड़ा से अधिक किशोरियों ने भाग लिया।
पहली बार बच्चियों ने चलाया बल्ला
क्षेत्र में पहली बार हो रहे किशोरियों के क्रिकेट मैच को देखने के लिए भारी संख्या में लोग उत्सुकतावश अंत तक डेट रहे। क्रिकेट मैच में भाग ले रही किशोरियों सपना, प्रांशी, माधुरी, रोशनी, पारुल, कल्पना आदि ने बताया कि पहली बार क्रिकेट खेलकर अच्छा लग रहा है। आगे से नियमित प्रैक्टिस जारी रखेंगी।
रूढ़िवादी सोच को बदलने का प्रयास
समर्थ फाउंडेशन के देवेंद्र गांधी ने कहा की उनका शुरू से ही प्रयास रहा है कि रूढ़िवादी सोच व व्यवस्थाएं बदले। समता और समानता आधारित समाज बने। प्रतियोगिताएं कराने का मुख्य मकसद किशोरियों में शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकास के साथ-साथ सृजनात्मक सकारात्मक माहौल बनाना है।
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