अवधनामा संवाददाता
नही है न उम्मीद इकबाल अपनी किश्तें वीरां से। ज़रा नम हो तो यह मिट्टी बहुत ज़रखेज़ है साकी।।
मौदहा हमीरपुर। उर्दू के महान कवि अल्लामा इकबाल का बहुत ही मशहूर शेर है नही है न उम्मीद इकबाल अपनी किश्तें वीरां से, ज़रा नम हो तो यह मिट्टी बहुत ज़रखेज़ है साकी ।। कस्बा मौदहा हमेशा से टैलेंट, कैलीबर और इनर्जी के लिए न केवल हिनदुस्तान बल्कि विदेशों में भी जाना जाता है बस जरूरत है यहां के नौजवानों के टैलेंट कैलीबर और इनर्जी को सही दिशा दिखाई जाए। यहां के खमीर में सलाहियतों की कतई कमी नही है सच यह है कि जिस दिन मौदहा का युवा अपनें आप को तालीम के मैदान में कुछ करगुजरनें के मकसद से लगा लेगा तो वह मौदहा की तकदीर बदल कर रख देगा। मौदहा की बेटी तन्जीन नें अपनें भाई बहनों के लिए जज बनकर मिसाल कायम कर दी कि मेहनत कर के वह सब कुछ हासिल किया जा सकता है जिसे युवा ठान लें। हुसैनगंज निवासी वहीद अहमद उर्फ पप्पू अगाधी की पुत्री तन्जीन ने पश्चिम बंगाल की सिविल सर्विस न्यायिक (जज) परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल कर न सिर्फ अपनें परिवार बल्कि मौदहा का नाम भी रौशन किया है परिजनों ने बताया कि तन्जीन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर सिविल जज की तैयारी शुरू कर दी थी। बेटी तन्जीन ने बताया कि उनकी स्वर्गीय मां हिना कौसर का शुरू से सपना बेटी को जज बनाने का था जिसे बेटी नें जज बनकर अपनी मां का सपना शाहकार दिया है।हालांकि तन्जीन की इस खुशी में उस की मां इस दुनियां में तो नही लेकिन मां की दुआएं जरूर तन्जीन के साथ है। बताते दे कि तन्जीन नें बगैर किसी कोचिंग के केवल आनलाइन माध्यम से तैयारी की है और वह कर दिखाया जिसे आसान नही कहा जा सकता है किसी राज्य की परीक्षा में दूसरी रैंक के साथ सफलता पाना प्रशंसनीय है तन्जीन की इस सफलता पर लोगो की बधाईयों का सिलसिला शुरू है।
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