संविधान से छेड़छाड़ का मतलब देश को कमजोर करना, भीष्म शंकर

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सिद्धार्थनगर। संविधान की रक्षा जरूरी क्यों है,इस विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में अध्यक्षीय संबोधन में बोलते हुए फरेंदा के कांग्रेस विधायक वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि निश्चित ही मौजूदा वक्त में संविधान के मूल रूप को छेड़ छाड़ कर उसके अस्तित्व को कमतर करने की कोशिश की जा रही है। 2024 में संविधान में उल्लिखित तमाम आपराधिक धाराओं को बदल कर उसका नया नामकरण करना इसका जीता जागता उदाहरण है बावजूद इसके 2024 के लोकसभा चुनाव में ही भारत की जनता ने अपनी ताकत का एहसास कराते हुए जता दिया कि वह संविधान विरोधियों की मंशा को किसी भी कीमत पर फलीभूत नहीं होने देगी। संविधान में मिले अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारत की महान जनता ने उनके चार सौ पार के मनसूबे को ध्वस्त करते हुए 240 पर ही रोक दिया।

उन्होंने कहा कि मौजूदा हुकूमत जितनी बार संविधान को कमजोर करने की कोशिश करेगा, जनता उतनी ही बार न केवल संविधान की रक्षा को आगे रहेगी, इन्हें अंकगणित के हिसाब से भी सबक सिखाती रहेगी। कांग्रेस विधायक ने कहा कि हमारे संविधान की यही खासियत है कि वह जनता के दिलों में बैठी है। कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिस तरह देश भर में संविधान की रक्षा का अभियान चलाया,उसका नतीजा है कि संविधान की किताबें घर घर पंहुचा गई और अब इसके हिफाजत की चिंता हमसे (राजनेताओं)अधिक जनता को होने लगी है। और जब जनता किसी की हिफाजत में खड़ी हो जाती है तो सरकारों की मनमानी कमजोर पड़ जाती है।

बांसी के सामाजिक संस्था परमार्थ संधान उपक्रम के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम संविधान की हिफाजत लाजिमी क्यों?विषयक गोष्ठी में कांग्रेस विधायक ने कहा कि संविधान की ताकत है कि आज सरकार को जाति जनगणना कराने को मजबूर होना पड़ा। उन्होंने ऐसे कार्यक्रम के निरंतर आयोजित होने की जरूरत बताई।

बतौर विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद तथा डुमरियागंज संसदीय सीट से सपा के टिकट पर बहुत शानदार लड़ाई लड़ने वाले भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी ने कहा कि किसी भी देश का संविधान तभी सार्थक होता है जब वहां की सरकार उसके महत्व को समझती हो। दुर्भाग्यवश आज बाबा साहब के लिखे संविधान को लोक हित के बजाय स्व हित के लायक बनाया जा रहा है। संविधान से छेड़छाड़ कर इसे कमजोर बनाने की कोशिश न तो देश हित में है और न ही जनहित में। पूर्व सांसद कुशल तिवारी ने कहा कि संविधान में जनता की सुविधाओं की उपलब्धता पर भी जोर दिया गया जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि शामिल है लेकिन एक बार नहीं कई कई बार जनता द्वारा मौका पाते रहे हमारे सांसद और विधायक इस ओर से आंख बंद किए रहते हैं। सिद्धार्थनगर को जिला बने हुए तीन दशक से भी अधिक हो गया लेकिन यहां न तो उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था है और न ही रोजगार हेतु कोई उद्योग ही है।

सिद्धार्थनगर के गौरव, ओजस्वी वक्ता तथा पूर्व सांसद डाक्टर चंद्र शेखर त्रिपाठी ने भारत के संविधान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत का संविधान लगभग तीस देशों के संविधान का मिला जुला ग्रंथ है। सभी देशों के संविधान लगभग ऐसे ही होते हैं लेकिन उसमें देश तथा उसके राज्यों के हित के हिसाब से बहुत कुछ अलग से समाहित करना होता है। जिसमें ढेर सारे अधिकार और कर्तव्य शामिल होते हैं। दरअसल इसी अधिकार और कर्तव्य के हिफाजत की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकारें वक्त वक्त पर संविधान में संशोधन भी करती रहती है लेकिन उसके मूल उद्देश्य को बचाए रखती हैं। डाक्टर चंद्र शेखर त्रिपाठी ने बहुत विस्तार से संविधान और सदन की व्याख्या करते हुए कहा कि राष्ट्रपति सदन भी संसद का अंग है। संविधान में सबकी अलग-अलग व्याख्या है और सबके अधिकार और कर्तव्यों का भी सिलसिले वार उल्लेख है।

विषय परिवर्तन करते हुए कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर ओपी राय ने कहा कि सत्ता के दोहरे चरित्र के चलते आज सामाजिक ढांचा चरमरा रहा है। संविधान में आर्टिकल 19 के तहत प्रदत्त अधिकारों की व्याख्या सरकार अपने तरीके से करने लगी है। हेट स्पीच की परिभाषा सत्ता और विपक्ष के अलग-अलग गढ़ी जा रही है। इसका उपयोग विरोधियों के दमन में होने लगा है। उन्होंने कहा ऐसे ही अनगिनत कारण है जब संविधान की हिफाजत लाजिमी हो गया है और उसके लिए समूचे विपक्ष को एक साथ उठ खड़े होने की जरूरत है।

कार्यक्रम में सपा नेता घिसियावन यादव और नगर पालिका परिषद बांसी की अध्यक्ष चमन आरा राइनी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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