कोलंबो। दिवालिया हो चुका श्रीलंका लगातार खुद को दोबारा अपने पांव पर खड़ा करने के लिए प्रयत्न कर रहा है। इसी कड़ी में अब श्रीलंका ने रूस से मदद की गुहार लगाई है। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन कर उनसे उधार तेल की आपूर्ति करने की गुहार लगाई है। राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर हुई बातचीत के दौरान उन्होंने साफतौर पर कहा है कि उनके देश के तत्काल प्रभाव से मदद की जरूरत है। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई द्विपक्षीय मुद्दों और आपसी सहयोग पर बातचीत हुई। बता दें कि श्रीलंका अपनी आर्थिक बदहाली को दोबारा पटरी पर लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज लेने को लेकर भी कोशिश कर रहा है। श्रीलंका ने इसको लेकर भी रूस से समर्थन मांगा है।
गोटाबाया ने एक ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन का पिछले कुछ समय में दिए गए समर्थन के लिए उनका धन्यवाद दिया। साथ ही पर्यटन, ऊर्जा उद्योग समेत कई मुद्दों पर भी चर्चा हुई। राष्ट्रपति गोटाबाया ने इस बातचीत को काफी सार्थक बताया है। गोटाबाया ने अपने ट्वीट में बताया है कि उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से रूसी एयरलाइंस एयरोफ्लोत के आपरेशन को दोबारा शुरू करने की भी अपील की है। उनके मुताबिक दोनों ही नेता आपसकी सहयोग को बढ़ाने पर राजी हुए हैं। गोटाबाया ने कहा है कि इससे दोनों देशों के बीच मित्रता के नए और मजबूत संबंध स्थापित होंगे। रूस की तरफ से क्रेमलिन की तरफ से जारी बयान में भी इस बातचीत की पुष्टि की गई है। इसमें कहा गया है कि दोनों देशों के बीच ऊर्जा, कृषि और ट्रांसपोर्ट में आपसी सहयोग बढ़ाने की बात कही है।
बता दें कि दोनों ही देश आपसी संबंधों की 65वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। क्रेमलिन से जारी बयान में कहा गया है कि रूस ने श्रीलंका के साथ विभिन्न मुद्दों पर सहयोग का विश्वास दिलाया है। गौरतलब है कि 28 जून को श्रीलंका के सांसद महिंदानंदा ने एक पत्रकार वार्ता में बताया था कि उन्होंने रूस के राजदूत से दोनों देशों प्रमुखों की बातचीत कराने में सहयोग की अपील की थी। इसमें ही उन्होंने देश में व्याप्त तेल संकट को कम करने के लिए 10 जुलाई के बाद तेल की निर्बाध आपूर्ति कराने की भी अपील की गई थी। आपको यहां पर बताना जरूरी है कि तेल की कमी की वजह से सरकार की तरफ से देश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अवकाश की घोषणा की गई है।
श्रीलंका अपनी आजादी के बाद से पहली बार इस तरह के बदतर हालातों का सामना कर रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। देश में खाने-पीने समेत अन्य चीजों की भारी कमी है। इन सभी के बीच देश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों में राष्ट्रपति गोटाबाया से इस्तीफा देने की मांग की जा रही है। देश में इन प्रदर्शनों को देखते हुए पीएम महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा था, जिसके बाद रानिल विक्रमसिंघे को पीएम बनाया गया था।