विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने निजामुद्दीन मरकज की घटना को शर्मनाक और चिंताजनक बताते हुए इसे कोरोना की फैक्ट्री करार दिया है।
पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, विहिप ने आरोप लगाया कि जब अधिकांश धार्मिक स्थल खुद से बंद कर दिए गए थे तो कुछ लोगों ने मस्जिदों में नमाज पढ़ने की जबरन अपील कर लोगों को यहां इकट्ठा किया गया।
इससे साफ जाहिर होता है कि कोरोना वायरस के विरुद्ध सरकार द्वारा लागू 18 दिनों के लॉकडाउन को कमजोर करना है।
विहिप के मुताबिक, केरल से कश्मीर तक इन मौलवियों द्वारा संक्रमण फैलाने की आशंका जताई जा रही है। ऐसा लगता है कि अब निजामुद्दीन मरकज कोरोना नामक भूकंप का केन्द्र बन चुका है।
विहिप ने जारी एक बयान में कहा है कि इज्तेमा के नाम पर दुनिया के 25 देशों और भारत के तब्लीगी जमात के हजारों की संख्या में लोग कई दिनों से एकत्रित थे।
इस्लाम के प्रचार के लिए इनमें से 15 सौ से अधिक भारत के कई राज्यों की मस्जिदों में छिपे बैठे हैं। इनमें से 400 से ज्यादा पकड़े जा चुके हैं। पकड़े गए कई मौलवी कोरोनाग्रस्त पाए गए हैं।
विहिप ने मरकज, मस्जिदों व मदरसों में छिपे इन लोगों को बाहर निकालने की जगह उनकी इमारतों को ही क्वारंटीन करके वहीं उनका इलाज कराए जाने की मांग की है।विहिप ने अन्य धर्म स्थलों और खुली हुई सभी मस्जिदों को तत्काल बंद करने की अपील की है, और इसके लिए मुस्लिम समाज को स्वयं आगे बढ़ने का आह्वान किया है।
विहिप ने ऐसी स्थिति में तथाकथित सेकुलर बुद्धिजीवियों की चुप्पी पर सवाल किया है और सरकार से अपील की है कि वह इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाए।
साथ ही विहिप ने कहा है कि कोरोना पीडि़त मृतकों को दफनाने की बात कही जा रहे हैं जबकि दफनाने से कोरोना जीवाणु तेजी से फैलता है।कोरोनाग्रस्त मृतक का उसके धर्म का विचार किए बिना अनिवार्य रूप से दाह संस्कार किया जाना चाहिए। विहिप ने कहा कि हम भारत के सभी जिम्मेदार लोगों से अपील करते हैं कि वे अपने-अपने समाज को इस हठधर्मिता से पीछे हटने के लिए प्रेरित करे।
विहिप अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे ने बयान में सरकार से अपील की है कि “जो विदेशी मुल्ला और मौलवी टूरिस्ट वीजा लेकर यहां कट्टरपंथ के प्रसार के लिए आए हैं, उनका वीजा रद्द कर उन पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
जो भी तत्व देश का साथ न देकर कोरोना का साथ दे रहे हैं, उनके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई हो, यही हमारी अपेक्षा है।”