नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) से बैंकों में लॉकर फैसिलिटी मैनेजमेंट (Locker Facility Management) को लेकर 6 महीने के भीतर रेगुलेशंस (Regulations) बनाने को कहा है। कोर्ट ने साफ कहा कि बैंक बैंक लॉकर सेवा (bank Locker Facility) को लेकर अपने ग्राहकों (Customer) से मुंह नहीं मोड़ सकते।
जस्टिस एमएम शांतनगौडर (Justice MM Shantangaudar) और जस्टिस विनीत सरन (Justice Vineet Saran) की बेंच ने कहा कि वैश्वीकरण (Globalization) के साथ आम लोगों की जिंदगी में बैंकिंग संस्थानों (Banking Sector) की भूमिका महत्वपूर्ण (Important) हो चुकी है। शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने कहा कि लोग घरों पर नकदी, गहने आदि रखने से हिचक रहे हैं, क्योंकि हम धीरे-धीरे कैशलेस इकोनॉमी (Cashless Economy) की ओर बढ़ रहे हैं। इसलिए बैंकों द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाला लॉकर (Locker) जरूरी सेवा बन गई है। इस प्रकार की सेवाएं नागरिकों के साथ विदेशी नागरिक भी ले सकते हैं। हालांकि इलेक्ट्रानिक (Electronic) रूप से परिचालित लॉकर (Locker) का ऑपशन (Option) है, लेकिन इसमें गड़बड़ी करने वाले सेंध लगा सकते हैं। साथ ही अगर लोग तकनीकी रूप से जानकार नही हैं तो उनके लिए ऐसे लॉकर (Locker) का ऑपरेशन (Operation) भी कठिन होता है।
ग्राहक (Cपूरी तरह से बैंक पर निर्भर
बेंच ने कहा कि ग्राहक (Customer) पूरी तरह से बैंक पर निर्भर हैं, जो उनकी संपत्ति के संरक्षण के लिए काफी सक्षम पार्टी है। ऐसी स्थिति में, बैंक इस मामले में मुंह नहीं मोड़ सकते और यह दावा नहीं कर सकते कि लॉकर (Locker) के संचालन के लिए वे अपने ग्राहकों (Customer) के प्रति कोई दायित्व नहीं रखते हैं। बैंकों का इस प्रकार का कदम न केवल उपभोक्ता (Consumer ) संरक्षण कानून के संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि निवेशकों के भरोसे और एक उभरती इकोनॉमी EEconomy) के रूप में हमारी साख को नुकसान पहुंचाता है।
रेगुलेशंस बनाने का निर्देश
कोर्ट (Court) ने कहा, ”यह जरूरी है कि आरबीआई (RBI) एक व्यापक डायरेक्शन (Broad directions) लाए, जिसमें यह अनिवार्य हो कि लॉकर के संदर्भ में बैंकों को क्या कदम उठाने हैं। बैंकों को यह स्वतंत्रता (Freedom) नहीं होनी चाहिए कि वे ग्राहकों (Customer) पर एकतरफा और अनुचित शर्तें थोपे। इसके मद्देनजर हम आरबीआई (RBI) को इस आदेश के 6 महीने में इस संदर्भ में उपयुक्त रेगुलेशंस (Regulations) बनाने का निर्देश (Instructions) देते हैं।”