भंगुर हड्डी की दुर्लभ बीमारी के मरीज का सफल ऑपरेशन

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अवधनामा संवाददाता

एक साल से लाखों रुपये खर्च कर परेशान थी पीड़िता

ललितपुर। ललितपुर के अस्थिरोग विशेषज्ञता के क्षेत्र में डॉ.आकाश खैरा नयी मिसाल बन गये हैं। उन्होंने एक ऐसे मरीज का ऑपरेशन कर उसे ठीक कर दिया जिसका इलाज कई प्रदेशों के चिकित्सा विशेषज्ञ एक साल की मशक्कत के बाद भी नहीं कर पाये थे। उसे ऐसी जटिल दुर्लभ बीमारी थी जिसे ऑस्टियो-पेट्रिऑसिस कहा जाता है। जिसमें हड्डियाँ बहुत जल्दी टूटती हैं पर जल्दी जुड़ती नहीं।
मरीज का नाम है सीमा लोधी, उम्र है 25 साल। एक साल पहले इसके बाँये पाँव की नीचे की दौनों हड्डियाँ कूदने से ही टूट गयीं थीं। इसके बाद उसने कई जगह प्लास्टर बंधवाया, कई जगह इलाज कराया। भोपाल में ऑपरेशन के लिये भर्ती हुयी। परन्तु दो दिन भर्ती होने के बाद और ऑपरेशन के पैसे जमा कराने के बाद भी डॉक्टर ने इस जटिल मरीज का ऑपरेशन करने से मना कर दिया। तब तक पीडि़ता सीमा का पैर बुरी तरह टेढ़ा हो चुका था। उसका चलना फिर ना मुश्किल हो गया था। वह हर ओर से निराश हो चुकी थी। तभी उसके जीवन में एक आशा की नयी किरण सामने आयी जब उसे उसके ही ग्राम सिलगन में किसी ने डॉक्टर आकाश खैरा का नाम बताया और कहा कि वह उसे ठीक कर सकते हैं। और डॉ.खैरा से मिलकर उसकी जिंदगी बदल गयी। डॉ.खैरा ने उसका ऑपरेशन ऋषिराज हॉस्पिटल के ऑपरेशन थियेटर में सफलता पूर्वक किया। अब उसका पैर सीधा हो गया है। जल्द ही वह बिना किसी सहारे के चलने फिरने लगेगी। इस ऑपरेश के दौरान एनस्थेटिक्स डॉ.खेमचंद्र वर्मा, ओमकार सिंह गौर, भज्जू यादव, पवन प्रजापति, प्रमोद राजपूत, सिस्टर सुषमा नामदेव का सहयोग रहा।
क्या होती है ऑस्टियो-पेट्रिऑसिस बीमारी
ऑस्टियो-पेट्रिऑसिस नामक बीमारी में हड्डी जन्म से ही इस तरह टैम्पर्ड होती है कि वह बहुत ‘भंगुरÓ हो जाती है। यानी कड़क तो होती है पर झुकती तनिक भी नहीं। चोट लगने से तुरंत टूट जाती है। और फिर जल्दी जुड़ती नहीं।
नया जीवन मिला
सीमा लोधी ने बताया कि उसने सोचा भी नहीं था कि वह दोबारा चल फिर सकेगी। अब उसे देश भर के अस्पतालों में नहीं भटकना पड़ेगा और वह दोबारा अपनी नयी जिंदगी शुरू कर सकेगी।
इनका कहना है-
मरीज की हड्डी इतनी सख्त थी कि एक्सरे में अलग से सफेदी चमक रही थी। ऑपरेशन कर उसे जोडऩा भी कठिन था। पर एक विशेष प्रकार की ड्रिल से उसका ऑपरेशन किया गया। अब सफलता के बाद मरीज की खुशी देखकर बहुत अच्छा लगा।
डा.आकाश खैरा
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