अलीगढ़ (Aligarh) कोरोना काल में पढ़ाई आनलाइन माध्यम पर निर्भर हो जाएगी इसकी कल्पना (Imagination) भी किसी ने नहीं की थी। मगर धीरे-धीरे प्रयासों (Efforts ) व लगन से इस असंभव (Impossible) से लगने वाले काम को शिक्षकों, अभिभावकों व छात्र-छात्राओं ने संभव कर दिखाया। इसके बाद जब एक साल के लंबे इंतजार के बाद कोरोना संक्रमण से मुक्ति मिलने की लहर आई तो वापस स्कूल-कालेज खुले और विद्यार्थियों से शैक्षणिक संस्थान (Educational Institutions) गुलजार हो गए। पढ़ाई के लिए विद्यार्थियों के हाथों में मोबाइल फिर से अभिभावकों की जेब में चला गया था। किताबें वापस अपने बैग में आ गई थीं। मगर एक बार फिर से काेरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार से पढ़ाई मुश्किल में आ गई है।
कक्षा एक से आठ तक के सरकारी व निजी स्कूलों को पहले 26 से 31 मार्च तक बंद किया गया। फिर इस अवकाश अवधि (Vacation period ) को बढ़ाकर चार अप्रैल तक कर दिया गया। इससे एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होने की मंशा व कवायद पर पानी फिर गया। उम्मीद की जा रही थी कि चार अप्रैल के बाद स्कूलों का संचालन फिर शुरू होगा। मगर कोरोना के बढ़ते कदमों ने पढ़ाई की कदमताल बिगाड़ दी है। अब स्कूलों को 11 अप्रैल तक बंद करने का आदेश शासन से जारी कर दिया गया है। इससे अभिभावकों की जेब में गया मोबाइल फिर से बच्चों के हाथों में आने को मजबूर है। स्कूल संचालकों ने फिर से आनलाइन शिक्षा की ओर देखना शुरू कर दिया है। परीक्षाओं के समय स्कूलों में अवकाश से विद्यार्थी, स्कूल संचालक व अभिभावक सभी परेशान हैं। हर कोई चाह रहा है कि कोविड-19 से सुरक्षा के मानकों का पालन कराते हुए विद्यालयों को खोलने की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। जिस तरह राजनीतिक गतिविधियां, कुंभ मेला, बाजार, शापिंग माल, शादी-समारोह आदि सभी संचालित हो रहे हैं वैसे ही स्कूल-कालेजों को भी खोला जाना चाहिए।