सिद्धार्थनगर। श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों में मानवता और निःस्वार्थ भावना के साथ सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा का हर मर्म समाहित है। श्रीमद्भगवद्गीता वह अमूल्य धरोहर है, जिसने संसार को आत्मज्ञान, निष्काम कर्म और धर्म की सीख देता है।
उक्त बातें प्रधानाचार्य डॉ0 राजेश कुमार श्रीवास्तव ने कही। वह बुधवार को रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज तेतरी बाजार में गीता जयंती के अवसर पर छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कुरुक्षेत्र में अर्जुन को दिए गए भगवान श्री कृष्ण के उपदेश आज भी हमें अपने कर्तव्यों के निर्वहन तथा सत्य एवं मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। गीता का ज्ञान मनुष्य जीवन के मंगल और कल्याण का आधार है। भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का यह महान ग्रंथ अनंत काल तक मानवता का पथ प्रदर्शित करता रहेगा। वर्तमान समाज विशेषकर युवाओं के लिए गीता प्रेरणा का चिर स्रोत है। इसमें निहित ज्ञान हमें अपने जीवन के उद्देश्य को पहचानने और अपने भीतर की असीम शक्तियों को जागृत करने की प्रेरणा देता है। गीता हमें सिखाती है कि परिस्थिति कैसी भी हो, सत्य और कर्तव्य का मार्ग ही सर्वोत्तम है। गीता की शिक्षाएँ हमें कर्म, धर्म, और आत्मसंयम का महत्व समझाती हैं। उन्होंने अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद का उल्लेख करते हुए बताया कि गीता का संदेश न केवल छात्रों बल्कि सभी के लिए प्रासंगिक है। छात्रों से आग्रह किया कि वे गीता के ज्ञान को अपने जीवन में आत्मसात करें और इसे अपने जीवन के हर क्षेत्र में लागू करें।
यह न केवल प्रेरणादायक है बल्कि जीवन में नैतिक मूल्यों और कर्तव्य परायणता को अपनाने की प्रेरणा भी देता है। उक्त अवसर पर आचार्य बन्धुओं समेत छात्र व छात्राओं की उपस्थिति रही।
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