तापमान पसीने के साथ शरीर में पानी-लवण की कमी के साथ जलन अरुचि अपच थकान सिरदर्द दाग चक्कर समेत कई पित्तजन्य रोग का खतरा बढ़ा देता है। मौसम में भोजन में लवण (नमकीन) कटु (तीखे) व अम्ल (खट्टे) रसों को शामिल करना चाहिए। ये शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति कर ताप से बचाते हैं।
आचार्य चरक व सुश्रुत के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में अग्नि यानी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और पित्त दोष बढ़ जाते हैं। ऐसे में तेज धूप में अधिक समय बिताना, तीखे-तले व मसालेदार भोजन को सेवन, अधिक परिश्रम स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
अत्यधिक तापमान पसीने के साथ शरीर में पानी-लवण की कमी के साथ जलन, अरुचि, अपच, थकान, सिरदर्द, दाग, चक्कर समेत कई पित्तजन्य रोग का खतरा बढ़ा देता है। आयुर्वेदिक जीवनशैली व आहार में बदलाव कर हम इससे बच सकते हैं। इस मौसम में भोजन में लवण (नमकीन), कटु (तीखे) व अम्ल (खट्टे) रसों को शामिल करना चाहिए। ये शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की पूर्ति कर ताप से बचाते हैं।
वहीं, स्निग्ध यानी घी जैसे चिकने पदार्थ व सादा भोजन पाचन ठीक रखने को जरूरी हैं। कुछ भी खाएं उसमें मधु जरूर शामिल करें। आयुर्वेद में सिर्फ ग्रीष्म ऋतु में दोपहर को शयन यानी झपकी लेने को कहा गया है ताकि थकान दूर हो व शरीर का तापमान नियंत्रित रहे। शरीर को ठंडा रखने वाले शीतल पेय पदार्थ जैसे नींबू पानी, सत्तू, बेल का शर्बत, छाछ आदि इस मौसम में अमृत तुल्य होते हैं।
60 दिन में तैयार होने वाला नवचाल यानी चावल खाना चाहिए, यह सुपाच्य, शरीर को ऊर्जा के साथ ठंडक देता है। मांसाहारी लोग कम मसाले में बना कुक्कुट (मुर्गा) खा सकते हैं यह अपेक्षाकृत हल्का होता है। गर्मी से होने वाली अरुचि, अत्यधिक प्यास, पेट में जलन या त्वचा पर दाग जैसे लक्षण दिखें तो हरे-भरे ठंडे स्थानों पर समय बिताएं व तनाव को दूर भगाएं। ये बातें दैनिक जागरण के लोकप्रिय कार्यक्रम हेलो जागरण में राजकीय आयुर्वेदिक कालेज में संहिता सिद्धांत के एसोसिएट प्रोफेसर डा. रोहित रंजन ने सुधि पाठकों के सवालों के जवाब में कहीं।
खानपान सही फिर भी कमजोरी लगती है?
खानपान के साथ ऋतु अनुकूल दिन व रात्रिचर्या के साथ हल्का व्यायाम जरूरी है। इसके बाद भी कमजोरी रहती है तो अश्वगंधा, सतावर, बिदारीकंद, सफेद मूसली, क्रौंच बीज, ताल मिश्री आदि को सौ-सौ ग्राम लेकर मिला लें। प्रतिदिन सुबह-शाम गुनगुने दूध के साथ एक-एक चम्मच एक माह तक लें, आराम होगा।
– बीपी-शुगर साथ में है। चलने में लाचार हूं?
आपकी उम्रजनित समस्याएं हैं, इसके लिए जीवनशैली दुरुस्त करें। सुबह सात बजे तक अंकुरित अनाज, कच्चा पपीता, सेब, खीरा, प्याज, नींबू, काली मिर्च आदि का नाश्ता करें। सुबह नौ बजे तक दो रोटी, हरी सब्जी, दोपहर में रोटी या चावल में से कोई एक साथ में एक कटोरी दही के साथ घर का भोजन लें, शाम चार से पांच बजे के बीच चना-मकई का थोड़ा सा भूजा खाएं। रात में साढ़े सात बजे तक हल्का भोजन लें और रोटी मल्टी ग्रेन यानी ज्वार, बाजरा, रागी व जौ की लें। रात में सोते समय गुनगुना दूध ले सकते हैं। अनिद्रा दूर करने के लिए सोने के पहले अश्वगंधा चूर्ण या इसका कैप्सूल स्ट्रेसकाम लें। दो से तीन माह में वजन चार से पांच किलोग्राम कम होने के साथ स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
यूरिन करने के बाद कुछ बूंदें टपकती हैं?
प्रोस्टेट बढ़ा हो सकता है, एक अल्ट्रासाउंड करा लें। उस समय तक मक्के के भुट्टे के बाल का काढ़ा बना कर सुबह-शाम पिएं, इसके अलावा चंद्रप्रभा बटी की दो-दो गोली सुबह-शाम व तृण पंचमूल कसाय 30-30 एमएल सुबह-शाम लें। बवासीर के लिए अर्षकुठार रस की एक-एक गोली व अभ्यारिष्ट सिरप लें।
पेट में गैस के साथ पेट भरा-भरा रहता है?
फैटी लिवर की आशंका, चाय बंद कर दें, इसकी जगह काढ़ा ले सकती हैं। दोपहर व शाम के भोजन का पहला कौर हिंग्वाष्टक चूर्ण के साथ लें। इसके अलावा सुबह-शाम लिव 52 डीएस छह माह तक सुबह-शाम लें। महाशंख बठी की दो-दो गोली सुबह शाम लें। बाहर के बजाय घर का भोजन ही लें।
गर्मी से बचाव को अपनाएं ये उपाय
- – बेल शरबत, आम पन्ना, सत्तू का नींबू, काला नमक से बना घोल व पर्याप्त मात्रा में शीतल जल का सेवन करें।
- – तेज सिरदर्द होने पर एक से दो रत्ती गुलकंद के साथ गोदंती भस्म लें।
- -एसिडिटी व जलन में प्रवाल पिष्टी, मुक्ता शुक्ति भस्म लेने से फायदा।
- – घमौरियां, फोड़े-फुंसी होने पर चंदन, गोरोचन का लेप, नीम की पत्तियों का उबटन, मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाएं।
- – पाचन संबंधी समस्या होने पर खानपान में जौ, नया चावल, मूंग दाल, छाछ, खीरा, लौकी, तोरई, परवल खाएं।
- -अविपत्तिकर चूर्ण लेने से एसिडिटी व कब्ज़ की समस्या में फायदा होता है। हिंगवाष्टक चूर्ण, द्राक्षारिष्ट, पंचसकार चूर्ण गैस एवं कब्ज में फायदेमंद।
- – मानसिक थकावट, चक्कर, सिरदर्द होने पर ब्राह्मी, शंखपुष्पी, मांडूकपर्णी जैसी औषधियों का प्रयोग कर सकते हैं।
- -सिर दर्द में शीतल तेल जैसे नारियल तेल, ब्राह्मी आदि से मालिश करें, नाक में अणु तेल डालें।
- -ज्यादा तैलीय, मिर्च-मसालेदार, भारी भोजन से बचें।
- -ताज़े फल जैसे तरबूज, खरबूजा, अंगूर, खीरा नियमित लें।