विश्व स्वास्थ्य दिवस (07 अप्रैल 2022) पर विशेष

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अवधनामा संवाददाता

“हेल्थ फॉर ऑल’’ की सोच को साकार कर रहे हैं सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम

हर आयु और हर वर्ग के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रमों के तहत है प्रावधान

अग्रिम पंक्ति की मदद से सेवाओं का लाभ पहुंचाने की होती है कोशिश

गोरखपुर। इस साल मनाये जाने वाले विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम डब्ल्यूएचओ ने ‘‘हेल्थ फॉर ऑल’’ निर्धारित किया है जिसे सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के जरिये साकार भी किया जा रहा है । इन कार्यक्रमों के तहत हर आयु और हर वर्ग के लोगों के लिए प्रावधान है । इनका लाभ पहुंचाने का प्रयास अंग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं की मदद से हो रहा है । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि इस बार के विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम इस सोच के तहत है कि स्वास्थ्य का बुनियादी मानवाधिकार हर किसी को बिना किसी आर्थिक कठिनाई के जब और जहां आवश्यक हो वहां मिल सके । स्वास्थ्य और आईसीडीएस विभाग के साथ ही कई अन्य सहयोगी विभाग और स्वयंसेवी संगठन भी इस सोच को साकार करने में जुटे हुए हैं ।

सीएमओ ने बताया कि परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत नव दंपति के वैवाहिक जीवन के बाद ही से परिवार नियोजन कार्यक्रमों का लाभ देने के प्रावधान है। इसके तहत सुनिश्चित किया जाता है कि दंपति पहला बच्चा शादी के दो साल बाद करें और दो बच्चों में कम से कम तीन साल का अंतर भी रखें। परिवार पूरा होने पर स्थायी साधन नसबंदी की सेवा भी दी जाती है । मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रमों के तहत जब पहला बच्चा गर्भ में आता है कि आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम की मदद से नजदीकी छाया ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता व पोषण दिवस (छाया वीएचएसएनडी) पर ले जाकर प्रसव पूर्व जांच कराई जाती है। आयरन फोलिक एसिड और कैल्शियम की गोलियां दी जाती हैं और गर्भवती को प्रत्येक माह के नौ तारीख को मनाए जाने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस (पीएमएसएमए) कार्यक्रम में भी ले जाकर जांच कराई जाती है । गर्भवती का दो बार टीकाकरण होता है जिससे टिटनेस से बचाव हो सके । सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर गर्भवती को पोषण के लिए राशि भी दी जाती है । अस्पताल में प्रसव के बाद नवजात का वहीं से टीकाकरण शुरू कर दिया जाता है । गर्भावती व धात्री को 102 नम्बर एम्बुलेंस से अस्पताल आने और जाने की सुविधा का प्रावधान है । जब जच्चा बच्चा घर चले जाते हैं तो होम बेस्ट न्यूओनेटल कार्यक्रम (एचबीएनसी) के तहत आशा कार्यकर्ता बच्चे के घर जाकर फॉलो अप करती हैं । गम्भीर बीमारियों से बचाव के लिए पांच साल में सात बार टीकाकरण का भी प्रावधान है।

सीएमओ ने बताया कि आईसीडीएस विभाग की ओर से भी गर्भवती, धात्री, किशोरावस्था और बाल्यावस्था में आंगनबाड़ी केंद्रों से पोषाहार के तौर पर दलिया, दाल, रिफाइन देने का प्रावधान है। केंद्रों पर गोद भराई कार्यक्रम, अन्नप्राशन कार्यक्रम, स्वस्थ बाल बालिका प्रतिस्पर्धा और पौष्टिक व्यंजनों की प्रदर्शनी आदि लगा कर स्वास्थ्य और पोषण का संदेश दिया जाता है। कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन कर उन्हें स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं दी जा रही हैं।

मिल रहा योजनाओं का लाभ

महानगर के बसंतपुर के हनुमानगढ़ी मोहल्ले की 24 वर्षीय गुड़िया बताती हैं कि कई बार गर्भ ठहरने के बावजूद उनके बच्चे नुकसान हो जाते थे । आशा कार्यकर्ता जीता देवी की मदद से जब बसंतपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव पूर्व जांच हुईं तो वह उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) में पाई गईं । उन्हें टीकाकरण और पोषाहार की सुविधा तो स्थानीय स्तर पर मिली लेकिन चिकित्सक की सलाह पर आशा की मदद से उन्होंने डिलेवरी बीआरडी मेडिकल कॉलेज में करवाया। उनका बेटा एक साल का हो चुका है और पूरी तरह से स्वस्थ है । टीकाकरण की भी सुविधा स्थानीय स्तर पर मिल जाती है । इसी मोहल्ले की राजनंदिनी (26) का कहना है कि उनकी गर्भावस्था में आशा कार्यकर्ता की मदद से उनका टीकाकरण हुआ। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सावित्री की मदद से उन्हें केंद्र से दलिया, तेल और दाल मिला जिसका सेवन उन्होंने गर्भावस्था के दौरान किया और बच्चे को स्तनपान कराने के दौरान भी करती रहीं । उनके तीनों बच्चे स्वस्थ हैं । शहर के ही सिधारीपुर वार्ड की रौशनी (21) बताती हैं कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समा परवीन की मदद से उनकी प्रसव पूर्व जांच हुई। जिला महिला अस्पताल में बच्ची हुई और उनकी बच्ची को सभी टीके लगाए जा सके । गर्भावस्था में उनकी गोदभराई भी की गयी थी । इस मौके पर उन्हें दूध, चना, हरी सब्जियां देकर पौष्टिक आहार के सेवन की सलाह दी गयी थी ।

विभिन्न योजनाओं का है प्रावधान

सीएमओ का कहना है कि किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत किशोरियों के सेनेटरी पैड, किशोर किशोरियों के लिए साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड गोलियां देने के साथ जिला और महिला अस्पताल में किशोर किशोरी स्वास्थ्य परामर्श केंद्र चलाए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बिना किसी वर्गीकरण के स्वास्थ्य जांच व इलाज की सुविधा दी जा रही है। राष्ट्रीयकृत कार्यक्रमों के तहत संचारी रोगों जैसे टीबी, फाइलेरिया, कुष्ठ, इंसेफेलाइटिस, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि के जांच और इलाज की सुविधा सरकारी प्रावधानों के तहत दी जा रही है । टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये प्रति माह देने का प्रावधान है तो कुष्ठ के सर्जरी वाले मरीजों को श्रमह्रास के लिए 8000 रुपये देने का प्रावधान है । जिले के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) की मदद से गैर संचारी रोगों जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, स्तन व ओरल कैंसर, दांत से जुड़ी बीमारियों आदि की स्क्रीनिंग कर इलाज की सुविधा नजदीक में मुहैय्या कराई जा रही है । आयुष्मान भारत योजना के तहत पात्र और सूचीबद्ध लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड बनवा कर प्रति लाभार्थी पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा दी जा रही है।

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