पांच साल बाद सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी गई जिसमें साफ हो गया था कि उनकी मौत एक सुसाइड थी। इस खबर के बाद एक टीवी एक्ट्रेस ने खुलासा किया है कि सुशांत के बारे में बोलने के लिए उन्हें क्या कीमत चुकानी पड़ी। माता-पिता और दोस्त भी उनके खिलाफ हो गए थे।
14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की अचानक मौत ने पूरे देश के होश उड़ा दिए थे। हत्या या सुसाइड की गुत्थी सुलझाने में पुलिस और सीबीआई जुट गई, उधर सेलिब्रिटीज भी अभिनेता की मौत का शोक मना रहे थे। कई लोग तो इतने ज्यादा लाइमलाइट में आए कि उन पर आरोप लगा कि वे सिर्फ फेम पाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। एक अभिनेत्री के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ।
कैसी ये यारियां फेम एक्ट्रेस क्रिसन बैरेटो ने एक हालिया इंटरव्यू में खुलासा किया है कि पांच साल पहले जब सुशांत की मौत के बारे में जो कुछ भी उन्होंने कहा, उसका भुगतान उन्हें करियर में गिरावट से चुकानी पड़ी। उन्हें काम मिलना बंद हो गया।
सुशांत के बारे में बोलना पड़ा भारी
शार्दुल पंडित के पॉडकास्ट में क्रिसन बरैटो ने कहा, “भारत में अगर आप अभिनेता हैं तो आप शोक नहीं मना सकते। अगर आपके दोस्त का निधन हो जाता है तो लोग मानने लगते हैं कि आप सिर्फ अटेंशन पाने के लिए पोस्ट कर रही हैं। सिर्फ इसलिए कि आप कैमरे के सामने हैं, उन्हें लगता है कि आप परफॉर्म कर रहे हैं। इसमें सच्ची भावना के लिए कोई जगह नहीं है।”
काम मिलना हो गया था बंद
क्रिसन का कहना है कि सुशांत सिंह राजपूत जैसे हाई प्रोफाइल केस में बोलना हल्के में नहीं लिया गया था। उन्होंने कहा, “कोई भी इसके बारे में बात नहीं कर रहा था, इसका एक कारण है। इसमें जोखिम भी है। मैंने अपना करियर, अपनी जिंदगी जोखिम में डाल दी। यहां तक कि मेरे माता-पिता भी मेरे बोलने पर नाराज थे। कोई भी इतना बेवकूफ नहीं है कि अटेंशन पाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दे।”
दोस्त भी हो गए थे खिलाफ
क्रिसन ने आगे कहा, “लोगों को यह एहसास नहीं होता कि जब आप इस तरह का स्टैंड लेते हैं तो आपके लिए कितने दरवाजे बंद हो जाते हैं। मेरे साथ भी ऐसा हुआ है। मुझे काम देने से मना कर दिया गया। मैंने बहुत कुछ खोया और कुछ भी नहीं पाया। मैंने यह अपने दोस्त के लिए किया, शोहरत के लिए नहीं। मुझे परवाह नहीं कि मैं क्या खोती हूं। यहां तक कि मेरे दोस्तों ने भी मुझे बोलने से रोका। वे फोन करके कहते थे, ‘मत बात करो।’ लेकिन मैं चुप नहीं रह सकती थी।”