पर्यावरण दिवस के पूर्व करूणा इन्टरनेशनल बेविनार में वक्ताओं के विचार

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Speakers' thoughts at Karuna International Bevinar before Environment Day

अवधानाम संवाददाता

पर्यावरण के बिगडते संतुलन के लिए इन्सान की इन्सानियत जिम्मेवार- शंकराचार्य

लोभ और स्वार्थ से बिगडा पर्यावरण संतुलन – सिद्धान्त सागर

ललितपुर (Lalitpur)। करूणा इन्टरनेशनल के तत्वावधान में आयोजित बेबिनार में जगद्गुरू शंकराचार्य प्रयागपीठ ओंकारानंद सरस्वती महाराज ने पर्यावरण संरक्षण में उत्पन्न खतरे के लिए इंसान को जिम्मेवार ठहराया और कहा यदि वृक्षों का पालन पोशण बच्चों की तरह होता तो आज विश्वधरा पर महामारी जैसी खतरनाक वीमारी विकराल रूप न लेती। उन्होने कहा वृक्षों का संरक्षण बच्चों की तरह करना चाहिए। भारतीय संस्कृति का जिक्र करते हुए उन्होने कहा घरों में तुलसी का पौधा और तुलसी पूजा प्राचीन समय से होती आ रही है लेकिन अब व्यक्ति स्वार्थवश होकर संस्कारों से ओझल हो रहा है। शंकराचार्य जी ने कहा महामारी करोना के दौरान पर्यावरण की उपयोगिता लोगों के समझ में आई।  आक्सीजन को लेकर देश ने जहां किल्लत झेली वहीं अनेक लोग इसके शिकार हुए ऐसे में वृक्ष जहां आक्सीजन के लिए प्रमुख कारण हं इसके अभाव में हमारे आर्गन सिस्टम को टैक पर लाने के लिए जहां आवश्यकता महसूस हुई।

बेबिनार में जैन संत एलक सिद्धान्त सागर महाराज ने बताया जैन दर्शन में प्राणी मात्र के संरक्षण और हिंसा से दूर रहने की बात कही है उन्होने कहा लोभ और स्वार्थ के कारण पर्यावरण विगड रहा है शाकाहार और जीवदया को छोडकर व्यक्ति पश्चात् संस्कृति और मान्साहार की ओर वढ रहा है। इस धरती पर वृक्षों के संरक्षण द्वारा ही मानव जीवन सुरक्षित रहेगा उन्होने बच्चों को प्रारम्भिक षिक्षा के साथ साथ मूक पशुओ के प्रति मैत्री संबंध बनाए रखने पर बल दिया। पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित बेबिनार का शुभारम्भ करूणा वंदना से करूणा क्लव प्रभारी स्याद्वाद विद्यालय नेहा जैन ने किया। बेविनार की अध्यक्षता केन्द्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाशमल दुगड ने करते हुए इन्सानियत के संदेश और संतों की वाणी  को ही करूणा का कार्य बताया। राष्ट्रीय  उपाध्यक्ष सुरेश कांकरिया जयपुर ने बच्चों को किचिन गार्डन के लिए प्रेरित करते हुए घर घर में पहुचाने की जरूरत पर वल दिया। कार्यक्रम का संयोजन राष्ट्रीय प्रचारक चारण एवं ललितपुर केन्द्र प्रभारी अक्षय अलया ने किया।

इस मौके पर कैलाश चद खंडेलवाल इन्दौर, अभिशेक बफाना, रमेश गुप्त इन्दोर कैलाश मल राठी चेन्नई, सत्यनारायण जोशी विजयनगर, घनश्याम साध्य वीकानेर, प्रदीप रावत बरेली, सुशीला बोरा जोधपुर, के0के0पाली, केशव प्रजापति, शकुन्तला भीलवाडा, संदीप पाटिल जलगांव, तुसार पाण्डया जूनागढ, अजित जैन जलज टीकमगढ, प्रो0 भगवत नारायण शर्मा पूर्व प्राचार्य, शिक्षाविद जय षंकर द्विवेदी, अजय श्रीवास्तव, के0पी0पाण्डे, धु्रव साहू, पुष्पेन्द्र जैन मडावरा, डा0 राकेश सिंघई मडावरा, पं0 महेश पटैरिया, महेन्द्र त्रिपाठी, सुख साहव परमार, धु्रव साहू, शीलचंद शस्त्री, हरीशंकर सोनी, नीलम सराफ, वीणा जैन, लक्ष्मी सीरोठिया रेखा जैन, आदि ने अपने विचार रखे।

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