कोलकाता में हर साल दीवाली की रात ध्वनि प्रदूषण का हाहाकार मचता है। प्रशासन द्वारा पटाखों के शोर को रोकने के लिए बार-बार प्रयास किए जाते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर नहीं दिखाई देता। इस साल भी आर.जी. कर अस्पताल के आसपास ध्वनि प्रदूषण के खतरनाक स्तर को रोकना संभव नहीं हुआ।
आधी रात 12 बजे के करीब इस क्षेत्र में शोर का स्तर सामान्य से 22 डेसिबल अधिक दर्ज किया गया। यहां रात में 40 डेसिबल तक शोर की सीमा होनी चाहिए, लेकिन दीवाली की रात इस मानक का पालन नहीं किया जा सका।
कोलकाता में काली पूजा और दीपावली एक साथ मनाई जाती है। यहां गुरुवार रात हर साल पटाखों का शोर लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रशासन का दावा है कि वे पटाखों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बाजारों में दीवाली से पहले ही पटाखे गुप्त रूप से बिकते रहते हैं। इस बार भी महानगर में पटाखों का धमाका थमता नहीं दिखा।
आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार रात से सुबह तक सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण कसबा क्षेत्र में दर्ज किया गया। यहां शोर का स्तर 75 डेसिबल होना चाहिए, लेकिन आधी रात में यह बढ़कर 104.6 डेसिबल तक पहुंच गया।
किसी भी अस्पताल के आस-पास का क्षेत्र ‘साइलेंस जोन’ के तहत आता है, जहां शोर दिन में 50 डेसिबल और रात में 40 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए। लेकिन दीवाली की रात अस्पतालों के आस-पास के इलाकों में भी शोर का स्तर बढ़ता गया। आरजी कर अस्पताल के आसपास रात 12 बजे शोर का स्तर 72.7 डेसिबल पर था। इसी समय एसएसकेएम अस्पताल के पास यह स्तर 58.2 डेसिबल दर्ज किया गया।
न्यू मार्केट क्षेत्र में रात 12 बजकर 20 मिनट पर शोर का स्तर 70.7 डेसिबल था, जबकि यहां 65 डेसिबल की सीमा है। बागबाजार, जो एक आवासीय क्षेत्र है, वहां भी शोर का स्तर 82.5 डेसिबल दर्ज किया गया।
रात एक बजे से लेकर सुबह के चार बजे तक विभिन्न क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती रही। कसबा में दो बजकर 20 मिनट पर शोर का स्तर 103.2 डेसिबल था, जबकि सॉल्ट लेक में 57 डेसिबल, टॉलीगंज में 73.4 डेसिबल और बागबाजार में 78.5 डेसिबल दर्ज किया गया।
सुबह चार बजे के बाद भी विभिन्न इलाकों में शोर जारी रहा। बागबाजार में शोर का स्तर 70.9 डेसिबल, कसबा में 81.2 डेसिबल, न्यू मार्केट में 69 डेसिबल, टॉलीगंज में 74.4 डेसिबल और एसएसकेएम अस्पताल के पास भी शोर 50 डेसिबल से अधिक था।