अवधनामा संवाददाता
सोनभद्र/ब्यूरो कृष्णशीला रेलवे साइडिंग पर कोयले का अबैध भंडारण मामले मे तथयात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत नही करने पर सोनभद्र के जिलाधिकारी और उ०प्र० सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 29 मार्च को बयक्तिगत व्यक्तिगत रूप से इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने दी।
अधिवक्ता चौबे ने बताया कि सोनभद्र में प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट मची है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सोनभद्र के आबोहवा को विषाक्त घोषित कर चुका है प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट मची है अगर नदी नाले जल जंगल नहीं बचाया गया तो मानव जीवन को भी नही बचाया जा सकता है। कृष्ण शीला रेलवे साइडिंग पर कोयले का अबैध भंडारण और सोन नदी मे मुख्य धारा को बाधित कर बालू का अबैध खनन करने वाले सुधाकर पांडेय एंड एसोसियेट और न्यू इंडिया मिनरल् के बिरुद्ध अलग-अलग दो याचिका एनजीटी दाखिल की गई थी जिस पर संज्ञान लेते हुए निरीक्षण टीम गठित की गई थी तभी से खनन से जुड़े लोग भय का माहौल बना कर मामले को दबाना चाहते थे जिसके लिए सरकार को पत्र भी लिखा ।खनन कर्ता अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए तो याचिकाकर्ता को अपने पक्ष में मिलाकर न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता बदलकर याचिका वापस लेने का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर दिया परंतु याचिका में उल्लेखित तथ्यात्मक बिंदुओं और अधिवक्ता अभिषेक चौबे के बहस के पश्चात एनजीटी ने स्वत संज्ञान लेकर याचिका को आगे जारी रखने का आदेश दिया।
उन्होंने बताया कि अवैध खनन में ₹152400000 का जुर्माना के साथ-साथ उनके अस्थाई कार्यालय खनन क्षेत्र के भौतिक सत्यापन कर 3 मार्च तक रिपोर्ट समिति से मांगा है बालू खनन कर्ताओं के ऊपर 35 करोड़ तक का जुर्माना अधिरोपित हो सकता है। कृष्ण लीला रेलवे साइडिंग मामले में जांच समिति के दक्षता पर सवाल उठाते हुए संपूर्ण रिपोर्ट के साथ-साथ मामले में सोनभद्र जिला अधिकारी और राज्य सदस्य सचिव प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को व्यक्तिगत रूप से 29 मार्च को एनजीटी ने तलब किया है। अधिवक्ता अभिषेक चौबे ने दोनों याचिकाओं पर अंतिम निर्णय और अदालत को गुमराह कर दिशा बदलने वालों के विरूद्ध कानूनी लड़ाई लड़ते हुए हर हाल में सोन नदी को बचाने की बात कही है।