एशिया में सूर्यग्रहण, आकाश में दिखा आग का छल्ला

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कुण्डलाकार ग्रहण तब होता है जब चन्द्रमा धरती के इतने करीब नहीं होता कि वह पूरी तरह से सूर्य को छिपा सके. इसकी वजह से सूर्य की एक छोटी से आकृति गोल छल्ले के रूप में दिखाई देती है.

 

गुरुवार की सुबह भारत से लेकर सिंगापुर, ओमान और सऊदी अरब तक आकाश में देखा गया. इस दुर्लभ खगोलीय घटना के दौरान सूर्य आग के छल्ले सा नजर आया. इसे कुण्डलाकार ग्रहण (एन्यूलर एक्लिप्स) कहते हैं और यह तब होता है जब चन्द्रमा धरती के इतने करीब नहीं होता कि वो पूरी तरह से सूर्य को छिपा सके. इसकी वजह से सूर्य की एक छोटी से आकृति गोल छल्ले के रूप में दिखाई देती है.

इस तरह के ग्रहण साल-दो साल में एक बार ही दिखते हैं, लेकिन यह हर बार धरती पर एक सीमित इलाके में ही नजर आते हैं और किसी भी एक पैटर्न को दोबारा आने में दशकों लग जाते हैं. गुरुवार के ग्रहण के दिखने की शुरुआत मध्य एशिया से हुई और दक्षिण भारत और दक्षिणपूर्व एशिया से होते हुए उत्तरी प्रशांत में खत्म हुई.

बहुत से खगोलविदों और फोटोग्राफरों ने इसकी तस्वीरें ली और इसे जीवन में एक बार होने वाली घटना बताया.

दक्षिण भारत में तमिलनाडु के तट पर ग्रहण को देखने के लिए बहुत से लोग जमा हुए. ओडिशा सरकार ने तो छुट्टी की घोषणा कर दी और सभी सरकारी दफ्तर, अदालतें, स्कूल और कॉलेज बंद रहे. लेकिन राजधानी नई दिल्ली में बादलों और प्रदूषण की वजह से कुछ भी साफ नहीं दिखा. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पर अपनी निराशा जाहिर की और इस बारे में ट्वीट भी किया.

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