सामाजिक राजनैतिक सन्तुलन

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एस.एन.वर्मा

मोदी के फैसले और निर्णय दूरगामी होते है। इसीलिये कहते है कि मोदी है तो सब सम्भव है। अभी हुये विधानसभा चुनाव में मोदी ने अपने व्यक्तित्व और नाम का करिश्मा दिखाया है। अब जब मुख्यमंत्री चुनने की बारी आयी तो मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कई नेता होड़ में थे। वसुन्धरा राजे ने तो दिल्ली में डेरा डाल दिया था। समर्थको से भारी प्रदर्शन करवा रही थी। पर मोदी ने लोकसभा के असन्न चुनाव के परिप्रेक्ष में बहुत सटीक और सही निर्णय ले कई समीकरणों को साधा है। तीन राज्यो में एक मुख्यमंत्री और दो मुख्यमंत्री का निर्णय सम्बन्धित प्रदेशो में नयेे लोगो को मुख्यधारा में लाने के लिये यह निर्णय सटीक दिखाता है। इसके अलावा जातिगत समीकरण भी साधा है। कांग्रेस के जाति जनगणना के काट में गरीबो, महिलाओं, नौजवानो को जाति का मिसाल देकर जातिगणना के धार को कुन्द कर दिया है। क्योकि बिहार का देख कई राज्यों में इसे लेकर सगबुगाहट हो रही है। मोदी के निर्णय से पार्टी का समीकरण सधता दिख रहा है। क्योंकि तीनो राज्यों में एक में आदिवासीय एक में पिछड़ा वर्ग एक में उच्च जाति का मुख्यमंत्री बनाकर सम्बन्धित जातियों को सन्देश दिया है भाजपा सभी जातियो की कद्र करती है और उन्हें उचित अवसर देने का प्रयास करती है।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाकर वहां के 32 प्रतिशत आदिवासियों को उत्साहवर्धक सन्देश दिया है जिसका असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। मध्यप्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी समाज को सन्देश दिया है मोदी ने कि बारी बारी से सभी जातियों को अवसर देने के पक्षधर है। मध्यप्रदेश मंे कई दिग्गज नेता है। पर मोदी के व्यक्त्वि को देखते हुये वे खामोश है। बल्कि फैसले के पक्ष में बोल रहे है। निवर्तमान मुख्यमंत्री तो कह रहे है वह किसी पद की मांग नहीं करेगे। लोकसभा चुनाव जीताने में योग देगे। मोदी ने दिग्गज नेताओं के प्रभाव को कम करते हुये नवयुवक नेताओं को एक तरह से अश्वासन दिया है। प्रदेश, देश, पार्टी के पक्ष में जो लोग तनमन से प्रभावशाली काम करेगे, उन्हें बारी-बारी से महत्वपूर्ण पद दिये जाते रहेगे। राजस्थान में मुख्यमंत्री के रूप में मोहन शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर ब्राह्मण समुदाय को खुशी प्रदान की है। राजस्थान में वसुन्धरा राजे बहुत उत्सुक थी मुख्यमंत्री बनने के लिये। यह भी कहती सुनी गयी है कि वो सिर्फ एक साल के लिये मुख्यमंत्री बनना चाहती है। इसके लिये कार्यकत्ताओें द्वारा भारी प्रदर्शन भी करा रही थी। यह भी सुनने में आ रहा है स्पीकर के पद के लिये तैयार नहीं हुई। हर राज्य में दो दो उपमुख्यमंत्री देकर ज्यादे से ज्यादे लोगो को समाहित करने का सन्देश है। स्पीकर के चुनाव में भी स्थानीय कारको को देखते हुये निर्णय लिया गया है।
लोकसभा चुनाव में सम्भावना बनती है कि तीनो प्रदेशो में जिन सीनियर नेताओं को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया गया है उन्हें लोकसभा चुनाव में उतारा जाये। इस कवायद में मोदी का आत्मविश्वास झलकता है पार्टी पर पकड़ तो है ही। नौजवान नेता मोदी की नजरों में आने के लिये अच्छा से अच्छा काम करेगे। पार्टी को जिताने में जो प्रभावशाली भूमिका निभायेगे उन्हें मोदी जरूर पुरस्कृत करेगें। बड़े और अच्छे नेताओं का दयित्व बनता है नया नेतृत्व तैयार करने का। नये निपुण मुख्यमंत्रियों, उप मुख्यमंत्रियों के काबलियत की पहचान उनके द्वारा सम्पादित कार्यो से होगी। देखना दिलचस्प होगा कि मोदी का चुनाव कितना सही बैठता है। अच्छे नेता की पहचान है कितना नया नेतृत्व तैयार कर पाते है। मोदी ने इसका सबूत दे दिया है। 2024 के लिये अश्वस्त है प्रदेश चुनाव में अपने टेªलर दिखा कर अपना सन्देश दे दिया है।

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