बढ़ती आर्थिक विषमता गरीबों के उत्पीड़न का बन रहा कारण
अवधनामा संवाददाता
आजमगढ़। आदिवासी समुदाय के लोगों के साथ हो रहे उत्पीड़न और शोषण को लेकर सामाजिक संगठन ने राष्ट्रपति को संबोधित आठ सूत्रीय ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा,मांगों को पूर्ण किए जाने की मांग। आदिवासियों ने कहा कि हम सभी लोगों की उम्मीद थी कि जिस दिन सर्वाेच्च पद पर कोई आदिवासी महिला बैठेगी उस दिन से समाज में समस्याओं का समाधान हो जाएगा और पूर्ण आज़ादी मिल जाएगी। लंबे समय से जल,जंगल,जमीन के बचाने के लिए हजारों आदिवासियों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया है। उसे आपने झारखंड के राज्यपाल रहते हुए बहुत करीब से देखा है। आदिवासी समाज से राष्ट्रपति बनने के बाद भी देशभर में दलितों,महिलाओं,आदिवासियों व गरीबों के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक,शारीरिक,मानसिक उत्पीड़न तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसका मूल कारण है कि देशभर में अमीर, गरीब के बीच की खाईं बहुत ज्यादा बढ़ गयी है। बढ़ती आर्थिक विषमता से एक तरफ कुछ लोगों के पास इतना संपत्ति है कि इंसानों को खरीदकर उनका मनमाना उत्पीड़न करते हैं और दूसरी तरफ करोड़ों बहुसंख्यक आबादी इतना सम्पत्तिविहीन है कि वो मजबूरन बिकने और शोषित होने के लिए बाध्य हैं।
इस समय देश में संवेदनहीन क्रूरता ,छुआछूत व उत्पीड़न इतना चरम पर पहुँच गया है कि जालौर राजस्थान के नौ साल के इंद्र कुमार मेघवाल की मटके से पानी पी लेने के कारण जातिवादी सडि़यल मानसिकता के मास्टर छैल सिंह ने इतना मारा की इलाज के 23वें दिन बाद उसकी मौत हो गयी। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड महोबा के सरकारी प्राइमरी स्कूल के दलित बच्ची को घड़े से पानी पीने के अपराध में उसको बहुत पीटा जाता है साथ ही अभिभावक को जातिवादी संबोधन करते हुए मारने की धमकी दी जाती है। श्रावस्ती जिले में एक प्राइवेट स्कूल में मात्र 250 रुपये फीस समय से न दे पाने के कारण कक्षा 3 के बृजेश विश्वकर्मा को स्कूल प्रशासन के सदस्य अनुपम पाठक द्वारा इतना मारा जाता है कि इलाज के 8वें दिन उसकी मौत हो गयी।इस तरह की क्रूरतम व संवेदनहीन घटनाएं निरन्तर बढ़ती ही जा रही हैं।