कभी-कभी जीतने के लिए सबसे तेज़ होना ज़रूरी नहीं होता — ज़रूरी होती है लगातार मेहनत और धैर्य। यही साबित किया जंगल की एक ऐतिहासिक दौड़ में दो प्रतिभागियों ने: एक तेज़ रफ्तार खरगोश और एक शांत, लेकिन लगातार चलने वाला कछुआ।
जंगल में हुई इस दौड़ की घोषणा होते ही खरगोश को यकीन था कि वह आसानी से जीत जाएगा। “मैं तो दो कदम में मंज़िल पर पहुंच जाऊंगा,” उसने कहा और आत्मविश्वास से भरकर दौड़ शुरू की।
कुछ दूर भागने के बाद, जब उसने देखा कि कछुआ अभी बहुत पीछे है, तो वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लेट गया और गहरी नींद में सो गया।
उधर कछुआ बिना थके, बिना रुके धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। उसे न तो जीत की जल्दी थी, न ही दूसरों से तुलना की कोई फिक्र। वह बस अपने लक्ष्य की ओर एक-एक कदम बढ़ाता गया।
जब खरगोश की नींद खुली, तो उसने देखा — कछुआ मंज़िल पार कर चुका है!
इस घटना ने पूरे जंगल में हलचल मचा दी। जानवरों के बीच यह बात फैल गई कि सिर्फ काबिलियत नहीं, मेहनत और निरंतरता ही असली जीत दिलाते हैं।
आज यह कहानी सिर्फ जंगल की नहीं, बल्कि हर इंसान की ज़िंदगी से जुड़ी है — जहां अक्सर तेज़ भागने वाले खुद को सबसे आगे समझ बैठते हैं, लेकिन जीतते हैं वे जो रुकते नहीं।
संदेश:
- धीरे चलो, लेकिन चलते रहो।
- घमंड मत करो, मेहनत करो।
- गति नहीं, निरंतरता मायने रखती है।