“महिला हिंसा रोकने के अंतरराष्ट्रीय दिवस से शुरू हुआ लखनऊ में संयुक्त जागरूकता अभियान”
स्त्री मुद्दों पर समझ और जागरूकता पर केंद्रित सोलह दिवसीय महाअभियान ” स्त्री – पक्ष “
बनो नई सोच और # मर्ज़ी बिना शादी नहीं जैसे नारों पर केंद्रित होगा अभियान
दस्तक मंच,ऑक्सफैम इंडिया ,शिरोज़ कैफे सहित कई संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से 25 नवंबर से आगामी 10 दिसंबर तक इस सोलह दिवसीय वृहत अभियान “स्त्री पक्ष ” का आयोजन किया जा रहा है । कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। उल्लेखनीय है कि 25 नवम्बर का दिन दुनिया भर में महिलाओं पर हो रही हिंसा को खत्म करने के उद्देश्य को समर्पित है । यह 16 दिवसीय आयोजन 10 दिसम्बर यानी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस तक मनाया जाएगा ।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन आज 25 नवंबर को शेरोज़ हैंगआउट में शाम 4 बजे से एक “फोटो कविता- पोस्टर प्रदर्शनी” के साथ होगा जिसका नाम “बोल” है । उक्त प्रदर्शनी में दिल्ली की मशहूर आर्टिस्ट अनुप्रिया के चित्र तथा कई कवियत्रियों की कविताएं तथा फोटो होंगी ,जो स्त्री जीवन ,उनके संघर्ष और अधिकारों पर आधारित हैं। ये प्रदर्शनी निशुल्क है और 16 दिन तक चलाई जाएगी।
कार्यक्रम के सभी दिनों में कई रोचक गतिविधियां, संगीत , किस्सागोई परफॉर्मेंस आदि आयोजित की जाएंगी।
कार्यक्रम प्रतिदिन शाम 4-7 बजे तक आयोजित होगा।
ये कार्यक्रम समाज के सभी क्षेत्रों में महिलाओं के सामने आने वाले लैंगिक पूर्वाग्रह और भेदभाव के मुद्दों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक रचनात्मक जगरुकता पहल के रूप में है जिसमे काम के समान अवसर, शिक्षा, स्वास्थ्य , बाल विवाह , सुरक्षा ,कार्य संस्कृति, इत्यादि विषयों पर एक संवाद और जगरुकता के मकसद से हो रहा है जिसमे समाज के हर वर्ग खास तौर पर युवाओं की सक्रिय भागीदारी है ।
महिलाओं- बच्चियों के जीवन ,अधिकारों और चुनौतियों को रचनात्मक तरीके से सुनने,शेयर करने और समझने समझाने के मकसद से इस कलेक्टिव आयोजन के तहत शहर ही नहीं बल्कि देश भर के युवा साथी,संस्कृति कर्मी,मीडिया ,प्रशासन एवं इन मुद्दों पर कार्यरत संस्थाएं शामिल हो रहे हैं
इस महा अभियान “स्त्री-पक्ष” में मुख्यतः कई कार्यक्रम होंगे जो सभी महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों को समता वादी द्रष्टिकोण से एड्रेस किये जायेंगे। तथा आम जनमानस में महिलाओं के चयन के अधिकार चाहे वो हाँ हो या ना, को मानने- स्वीकारने की चेतना पैदा करने का उद्देश्य लिए होंगे, क्योंकि ये हर मनुष्य का और भारत मे तो संविधान प्रदत्त अधिकार भी है। ये अभियान ज़रूरी है क्योंकि व्याहारिक रूप में, खास तौर पर शादी के मसले में तो लड़कियों की मर्ज़ी को कोई पूछता तक नहीं..
इसके अलावा दहेज़, कम उम्र में शादी ,सुरक्षा ,यौन उत्पीड़न ,शिक्षा ,स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर भी समझ बनाई जाएगी ताकि एक जेंडर जस्ट सोसायटी बनाई जा सके।
कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी होगा जिससे ये देश विदेश में भी स्ट्रीम किया जा सके और लोग देख पाए।। कार्यक्रम में सख्त कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है, सुरक्षा और सावधानियां हमारे अंत से सुनिश्चित की जाएंगी।
बनो नई सोच और #मर्ज़ी बिना शादी नहीं जैसी मुहिम पर केंद्रित इस अभियान में विविध सांस्कृतिक गतिविधियों में मुख्यता
पोस्टर मेकिंग ,
संवाद,
किस्सागोई,
चित्र प्रदर्शनी ,
कविता,मुशायरा,
पैनल चर्चा ,
स्टैंडअप ऐक्ट,
म्यूज़िक, नृत्य,
फ़िल्म स्क्रीनिंग
आदि प्रमुख हैं।
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