गोशाला में हैं चालीस गायें, उत्पादों से सालाना दो लाख रुपए की आमदनी कर रही हैं महिलाएं
भावापुर में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा संचालित श्री कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट की गोशाला ने गोवंश उत्पादों को बाजार से जोड़ने के मामले में एक माडल के रूप में सामने आई है। पशुपालन विभाग और जिला पंचायती राज विभाग इस माडल को जिले की सवा सौ गोशालाओं में लागू करके गोशालाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने की शासन की मंशा को सफल करने की कार्ययोजना तैयार कर रहा है।
स्वामी महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर से दिया, धूपबत्ती, मूर्तियां,दीवाल पेंट एवं गुलाल तैयार किया जाता है।इस समूह ने गोमूत्र से गोनाईल नामक फ्लूर क्लीनर भी तैयार किया है।
बुधवार को मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा गोपाल कृष्ण शुक्ल और डी पी आर ओ मनोज कुमार त्यागी ने गोशाला का निरीक्षण किया और संचालक इन्द्र जीत यादव से वार्ता की।
समूह की ओर से उत्पाद तैयार करने और बिक्री का काम पिछले चार साल से चल रहा है। सालाना आमदनी दो लाख रुपए से अधिक है।
गोशाला के संचालक इन्द्र जीत यादव ने बताया कि गोशाला में चालीस गायें हैं। महिलाएं मिलकर काम करती हैं। होली और दीवाली के मौके पर स्टाल लगाकर बिक्री करते हैं।दीवार पेंट खरीदने लोग गोशाला पर आ जाते हैं।गोकाष्ट भी तैयार करते हैं। प्रतिदिन लगभग चार कुंतल गोबर मिलता है।पेंट तैयार करने में गीले गोबर का प्रयोग करते हैं।अन्य उत्पाद तैयार करने में गोबर को सुखाना पड़ता है।
गोशाला से अपनी स्वयं की खेती के लिए वर्मी कम्पोस्ट भी तैयार करते हैं।