अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। नेहरू महाविद्यालय के तुलसी सभागार में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत वर्तमान परिदृश्य और हिंदी विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य ने कहा की हिंदी अपने स्वभाव और मधुरता के कारण सर्वप्रिय है। हिंदी सभी सोपानो को पार करती हुई आज अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनने की ओर अग्रसर हो रही है देश दुनिया में हिंदी का रुतबा निरंतर बढ़ रहा है जो सभी हिंदी प्रेमियों के लिए गौरव की बात है। पूर्व प्राचार्य प्रो.भागवत नारायण शर्मा ने कहा कि हिंदी सर्वाधिक ऋणी संस्कृत की है। हिंदी का आधार संस्कृत है। संस्कृत के बिना हिंदी की परिकल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि हिंदी में सर्वग्रहिता है। संस्कृत विभाग अध्यक्ष प्रो.ओमप्रकाश शास्त्री ने कहा कि हमें सभी भाषाओं का समान आदर करते हुए संस्कृत के साथ हिंदी को भी अपने दैनिक जीवन में अधिक से अधिक स्थान देना चाहिए जिससे हम दोनों भाषाओं का गौरव दुनिया के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं। इतिहास विभाग के प्रो.पंकज शर्मा ने कहा की हिंदी में निरंतर नए-नए प्रयोग हो रहे हैं, जिससे हिंदी व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में तेजी से विकसित हो रही है। उन्होंने राजभाषा और राष्ट्रभाषा के स्वरूप की भी व्याख्या की। संगोष्ठी में हिमांशधर द्विवेदी, डा.सुधाकर उपाध्याय, डा.सुभाष जैन, डा.दीपक पाठक ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर प्रो.आशा साहू, अनीता, डा.मनोज कुमार, डा.रोशन सिंह, डा.संजीव शर्मा, डा.सूबेदार यादव, डा.ओपी चौधरी, डा.रामकुमार रिछारिया, डा.दीपक पाठक, डा.बलराम द्विवेदी, डा.राजीव निरंजन, डा.जगवीर सिंह, डा.पराग कुमार, डा.प्रीति सिरोठिया, डा.राजेश तिवारी, धीरेन्द्र तिवारी, विवेक पाराशर, फहीम बख्श, रमेश पाल, संजय शर्मा, हरदयाल, श्रीपत सिंह, कमलेश एवं छात्र-छात्र उपस्थित थे। संगोष्ठी का संचालन डा.सुधाकर उपाध्याय ने किया।