स्व. उमाशंकर मिश्र की प्रथम पुण्यतिथि पर हुई काव्य गोष्ठी

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अवधनामा संवाददाता

कप्तानगंज, कुशीनगर। नगर की साहित्यिक संस्था प्रभात साहित्य सेवा समिति के अध्यक्ष स्व उमाशंकर मिश्र मनुज की प्रथम पुण्यतिथि सोमवार को सायंकाल उन्हीं के आवास पर प. आनन्द कृष्ण त्रिपाठी की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई। संचालन किया बेचू बीए ने। सर्व प्रथम अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने स्व उमाशंकर जी के चित्र पर माल्यार्पण किया तदोउपरांत मां शारदे की वंदना से कवि कन्हैया लाल करुण ने काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया।

उन्होंने बाद में यह रचना सुनाया “ना घर बदला ना आंगन, ना बदला कोई कोना, पहले मिलते थे हंस हंस कर, अब बात बात पे रोना।” इसके बाद नूरुद्दीन नूर ने”गले तुझको लगाना चाहता हूं, तुम्हें दिल में बसाना चाहता हूं।” कवि विनोद सर ने खूब सुनाया “इस दौर का फ़िराक और रसखान हूं मैं।” डा इम्तियाज समर-“आंखों से लिये यादों का मंज़र चला गया, वो रूठ के हमसे सुखनवर चला गया।”
आनन्द गुप्त अनुज -“उन माताओं से जा पूछो उनके दिल का क्या है हाल। “बेनिगोपाल शर्मा “भूख से बिलबिलाती जिंदगी दास्तान है क्या,चारों तरफ प्रकाश है श्मशान है क्या।” इसके बाद बेचू बीए ने यह सुनाया “चिता से निकलती हुई धुंआ और आग की लपटें हमें विचलित करती है। “अंत में अध्यक्ष श्री त्रिपाठी ने यह रचना सुनाया-
“भरि के वांचाली अखियां में आंसू कहे..”इस मौके पर स्व उमाशंकर मिश्र के पुत्र प्रमोद, विनोद, राजेश व अखिलेश मिश्र मौजूद रहे।

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