‘निकाले गए छात्रों को वापस ले स्कूल’, DPS द्वारका मामले में अभिभावकों की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

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दिल्ली हाई कोर्ट ने डीपीएस द्वारका मामले में छात्रों को राहत दी है। फीस जमा न करने पर स्कूल से निकाले गए छात्रों को वापस लेने का आदेश दिया गया है। अभिभावकों को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 की बढ़ी हुई फीस का 50% जमा करने को कहा गया है। कोर्ट ने शिक्षा निदेशालय को फीस की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया है। यह फैसला अभिभावकों की याचिका पर आया है।

बढ़ी फीस न जमा करने पर छात्रों को पढ़ने से दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) द्वारका द्वारा रोकने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किया है। न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने एक तरफ जहां स्कूल प्रशासन को निर्देश दिया कि जिन छात्रों के नाम स्कूल की सूची से हटा दिए गए थे, उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी जाए।

वहीं, अभिभावकों को शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए बढ़ी हुई स्कूल फीस का 50 प्रतिशत जमा करने को कहा। कोर्ट ने स्कूल फीस वृद्धि और स्कूल की सूची से अपने बच्चों के नाम हटाने के मुद्दे पर 100 से अधिक अभिभावकों द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया। मामले में आगे की सुनवाई 28 अगस्त को होगी।

फीस का विवरण डीओई के निर्णय के अधीन

कोर्ट ने कहा कि कानून स्कूल को दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय (डीओई) की पूर्व स्वीकृति के बिना अपने अनुमानित खर्चों के अनुसार फीस तय करने की अनुमति देता है, लेकिन प्रत्येक शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले स्कूल द्वारा प्रस्तुत फीस का विवरण डीओई के निर्णय के अधीन है।

कोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग यह देख सकता है कि क्या ऐसा निर्धारण तर्कहीन या मनमाना है, जिसके परिणामस्वरूप मुनाफाखोरी या व्यावसायीकरण होता है। कोर्ट ने कहा कि अगर डीओई इसे सही पाता है, तो शुल्क वृद्धि को अस्वीकार करने का आदेश पारित कर सकता है और परिणामस्वरूप बढ़ी हुई फीस को वापस लेने का निर्देश दिया जा सकता है।

अभिभावकों ने 2025-26 शैक्षणिक वर्षों के संबंध में मांगी थी राहत

अदालत ने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए डीपीएस द्वारका की फीस वृद्धि के मुद्दे की समीक्षा की जा चुकी है और शिक्षा निदेशालय ने इसे खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि उक्त आदेश को स्कूल ने चुनौती दी थी, लेकिन इस पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। अभिभावकों ने वर्तमान वर्ष 2025-26 सहित आगामी शैक्षणिक वर्षों के संबंध में अंतरिम राहत मांगी थी।
कोर्ट ने कहा कि जब तक शिक्षा निदेशालय स्कूल के वित्तीय विवरणों और उक्त शैक्षणिक वर्षों के संबंध में अपने निष्कर्षों की समीक्षा नहीं करता और शिक्षा के व्यावसायीकरण पर 2024-25 से आगे के शैक्षणिक सत्रों के लिए फीस वृद्धि को खारिज नहीं करता, तब तक कानून में फीस में इस तरह की वृद्धि पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

अंतरिम व्यवस्था याचिका पर अंतिम निर्णय के अधीन

अदालत ने कहा कि मामले को देखते हुए शिक्षा निदेशालय द्वारा मामले पर निर्णय लिए जाने तक डीपीएस-द्वारका में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों को शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए स्कूल द्वारा प्रस्तुत फीस के विवरण के अनुसार फीस का भुगतान करना चाहिए। यह अंतरिम व्यवस्था याचिका पर अंतिम निर्णय के अधीन होगा।

अभिभावकों ने याचिका दायर कर फीस वृद्धि के मुद्दे के बीच उपराज्यपाल (एलजी) द्वारा स्कूल को अपने अधीन में लेने का निर्देश देने की मांग को लेकर दायर की थी।

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