भारतीय सर्वोच्च न्यायालय विवादित बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि के मुद्दे पर शुक्रवार को फैसला सुना सकता है. इस मामले पर 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
आपको बता दें कि साल 2010 मे इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुये सूप्रीम कोर्ट मे मुसलमानो ने याचिका दाखिल की थी. 28 सितंबर शुक्रवार को तीन सदस्यों का बेंच इस मामले में फैसला सुना सकता है.
अनुमान लगाया जा रहा हैं कि भारत के वर्तमान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर की तीन सदस्यी बेंच ये मामला संवैधानिक पीठ (पाँच या उससे ज़्यादा सदस्यी बेंच) को हस्तांतरित किया जा सकता है.
गौरतलब है कि शिया वक्फ बोर्ड ने अदालत में अगस्त 2017 में कहा था कि जमीन के जिस हिस्से में मस्जिद था वहां राम मंदिर बनवाया जा सकता है. इसके बाद नवंबर 2017 में शिया वक्फ बोर्ड ने कहा कि राम मंदिर अयोध्या में और मस्जिद लखनऊ में बना लेना चाहिए.
30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने यह फैसला सुनाया था कि विवादित ज़मीन को तीन हिस्सों में वितरित किया जाए. एक हिस्सा रामलला के लिए, दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुसलमानों को दिया जाए. पिछली सुनवाई के बाद सीनियर वकील राजीव धवन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के 1994 के उस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था कि इस्लाम में नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद की जरूरत नहीं है. इसके बाद तीन सदस्यीय बेंच इस फैसले के खिलाफ 13 याचिकाओं पर सुनवाई की है. इनमें एक याचिकाकर्ता एम सिद्दिकी हैं और राजीव धवन इनकी तरफ से ही पैरवी कर रहे हैं.