यूपीपीएससी के नए चेयरमैन बने संजय श्रीनेत

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अवधनामा ब्यूरो

लखनऊ. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के नए चेयरमैन के रूप में संजय श्रीनेत के नाम पर मुहर लगाई है। श्रीनेत 1993 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं और इससे पूर्व वह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में नार्दन रीजन के स्पेशल डायरेक्टर के रूप में कार्यरत थे। इस दौरान उन्होंने 4000 करोड़ से अधिक की संपत्तियों को जब्त किया है, 100 करोड़ से ज्यादा कर चोरी और तस्करी के मामलों को पकड़ा है।

संजय श्रीनेत की छवि दक्ष, निष्पक्ष, ईमानदार और कर्मठ अधिकारी के रूप में रही है, साथ-साथ उनकी कार्य को समयबद्ध सीमा में, वस्तुपरक दृष्टिकोण से करने का संस्थागत प्रयास करने की छवि है। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद पर उनके चयन की संस्तुति राज्यपाल से की थी।

संजय श्रीनेत ने अपनी शुरूआती पढ़ाई लखनऊ के काल्विन तालुकेदार कॉलेज से की है। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय और जेएनयू से पढ़ाई की है। उन्होंने प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) से एमफिल किया है। इसके बाद उनका चयन आईआरएस में हो गया। वह 2005 से 2009 तक प्रथम सचिव भारतीय उच्चायोग लंदन में कार्यरत थे। 2009 से 2014 तक डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस राजस्थान के प्रभारी रहे और 2015 से 2020 तक ईडी के नॉर्दन रीजन के विशेष निदेशक थे।

उन्हें राष्ट्रपति ने उत्कृष्ट सेवाओं के लिए 2010 में गणतंत्र दिवस पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया था। उन्हें भारत सरकार के लिए अत्यधिक राजस्व संग्रहित करने पर 1998 में “सम्मान पत्र” भी दिया गया था। इस दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार से जुड़े आर्थिक अपराध के विभिन्न मामलों का प्रभावी अनुश्रवण करते हुए बड़ी संख्या में आर्थिक अपराधियों की सम्पत्ति के जब्तीकरण और अर्थदंड वसूली की ठोस कार्रवाई कराई।

ब्रिटेन स्थित भारतीय उच्चायोग में प्रथम सचिव (व्यापार) के पद पर नियुक्ति के दौरान श्रीनेत अनेक यूरोपीय देशों के प्रभारी रहे। इस दौरान उन्हें अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अपराध और नशीले पदार्थों की तस्करी के अर्थतंत्र का व्यापक भंडाफोड़ किया। वह आर्थिक भ्रष्टाचार, तस्करी और मनी लांड्रिंग से संबंधित कई मामलों में सख्त कार्रवाई करने से चर्चा में आए।

सीएम योगी की निष्पक्ष और पारदर्शी भर्तियों की मुहिम को मिलेगी गति

संजय श्रीनेत के यूपीपीएस के चेयरमैन बनने से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निष्पक्ष और पारदर्शी भर्तियों की मुहिम को और गति मिलेगी। सीएम योगी ने भर्तियों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं, जिसका परिणाम है कि प्रदेश में हुई चार लाख भर्तियां निष्पक्ष और पारदर्शी हुई हैं। पूर्व की सरकारों में यूपीपीएससी की भर्तियों में भ्रष्टाचार सहित कई गंभीर आरोप लगते थे, यहां तक कि अभ्यर्थियों को सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन भी करना पड़ता था। जबकि अब ऐसा नहीं है।

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योगी सरकार में बदली यूपीपीएससी की छवि

योगी सरकार में भर्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर सालों से सुर्खियों में रहने वाले यूपीपीएससी की छवि बदली है। जबकि पिछली सरकारों में हर भर्ती पर भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोप लगते थे। यूपीपीएससी द्वारा एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के बीच कराई गई कई परीक्षाएं विवादों में रही हैं। नंबरों में हेरफेर, कापियां बदलने, पेपर लीक जैसी घटनाएं सुर्खियों में रही हैं। सीबीआई कई परीक्षाओं की जांच भी कर रही है।

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