कबीर आश्रम के महंत संत मलंग दास ने बुधवार को 11.50बजे शरीर त्याग दिया।संत मलंग दास के शिष्यों ने कबीर पंथी संत परम्परा के अनुसार सांय लगभग साढ़े चार बजे आश्रम में ही उन्हें समाधि प्रदान की।
इटावा के मूल निवासी मलंग दास साहब अपने गुरु साधु रामदास और साध्वी चेतन दास के साथ यहां 1960में आए और कबीर महासभा के आंदोलन के साथ अमेठी जनपद के सैकड़ों परिवारों को कबीर पंथी बनाए। अमेठी के लगभग हर गांव में उनके शिष्य हैं।1987में उन्होंने यहां एक आश्रम स्थापित किया। आश्रम के दलित एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को बीच स्वच्छता, सेवा, शिक्षा और सम्यक् कर्म के संदेश दिए।आपके शिष्य उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान, दिल्ली आदि राज्यों में भी फैले हुए हैं।
निर्वाण प्राप्त मलंग दास को गुरु माता साध्वी चेतन दास के बगल समाधि प्रदान की गई।संत मलंग दास जी लगभग एक महीने से गंभीर रूप से बीमार थे।सौ वर्ष की आयु में उनका शरीरान्त हुआ। शिष्य राम मिलन ने जीवन के अंतिम क्षणों तक उनकी सेवा की। अंतिम संस्कार के समय शांति दास, भगवान दास,राम मिलन दास,रतीपाल दास ज्ञानी,राम कृपाल, पूर्व प्रधान सुंदर लाल, सेवानिवृत्त शिक्षक पलटूराम, सामाजिक चिंतक और वरिष्ठ पत्रकार संजीव भारती, बसपा के जिला प्रभारी राम अभिलाष बौद्ध, विधानसभा अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद, सेवादार राम मिलन,सत्य प्रकाश, ललित कुमार, भास्कर कीर्ति, त्रिभुवन, जगदीश, दयाराम, अशोक कुमार, रामदेव, सुमित्रा, विद्यावती आदि मौजूद रहे।
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