अवधनामा संवाददाता
आजमगढ़। ग्रामीण चिकित्सकों पर हो रहे प्रशासनिक एवं सामाजिक उत्पीड़न से निजात दिलाने को लेकर ग्रामीण चिकित्सक एसोसिएशन ने गुरूवार को डीएम से मिलकर मुख्यमंत्री को सम्बोधित पांच सूत्रीय मांग पत्र सौंपा।
सौंपे गए ज्ञापन में प्रदेश सचिव डा. एचजी विश्वकर्मा ने बताया कि कोरोना काल में ग्रामीण चिकित्सकों की भूमिका अहम रही है। बड़े बड़े चिकित्सक मरीजों को जहां दूर से देखते थे उनके आरटीपीसीआर की रिपोर्ट का इंतजार करते थे। उस समय ग्रामीण चिकित्सक मरीजों को हर संभव मदद कर चिकित्सकीय सेवाएं दी। कोरोना महामारी व लाकडाउन के दौरान ग्रामीण चिकित्सक अपने जान की परवाह किये बगैर लोगों का उपचार किया। ग्रामीण चिकित्सक सबसे पहले मरीजों का उपचार कर हजारों की जान को बचाया है। लेकिन वर्तमान समय में ग्रामीण चिकित्सकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होने कहाकि एसोसिएशन की पांच सूत्री मांग कई वर्षों से लम्बित पड़ी है। जिसको सरकार पूरा कर ग्रामीण चिकित्सकों के सम्मान को बढायें।
उन्होने मांग किया कि ग्रामीणांचल क्षेत्रों के ग्रामीण चिकित्सक ही मरीज को प्राथमिक उपचार की सुविधा दे सकते है इसलिए पंजीकृत चिकित्सक अनुभव व डिप्लोमा प्राप्त चिकित्सकों को प्राथमिक उपचार करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। नर्सिंग/पैरा मेडिकल डिप्लोमा धारकों विशेष ग्रामीण चिकित्सकों के लिए भर्ती निकाली चाहिए। अनुभवशील ग्रामीण चिकित्सकों को शासन द्वारा कुशल चिकित्सकों सरकार व मान्यता प्राप्त अस्पतालों में ट्रेनिंग कराकर प्राथमिक उपचार करने की स्वीकृति दी जाय। साथ ही डिप्लोमा धारक एवं अनुभवशील चिकित्सकों के सम्मान में उन्हे ग्रामीण चिकित्सक कहलाने का पूरा अधिकार मिले। झोलाछाप जैसे शब्दों का प्रयोग करने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होने कहाकि स्वास्थ्य सम्बन्धी रोगों से बचाव के लिए जनजागरूकता में ग्रामीण चिकित्सकों को भी प्राथमिकता दिया जाय। जिससे कि बिमारियों के प्रति ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की अलख जगायी जा सके।
इस दौरान विशाल गौंड़, उपेंद्र सरोज, आशित कुमार, गौरांगो आदि मौजूद रहे।